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________________ ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन [५५ वेश्यागामी राजा दुन्दुक दोनों का पृथक्-पृथक् वध कर राज्य में प्रतिष्ठित हुआ। बप्पभट्टि ८३८ ई० में ९५ वर्ष की आयु पूर्णकर चल बसे। बप्पभट्टिसूरि-प्रबन्ध का विश्लेषण करने से निम्नलिखित ऐतिहासिक तथ्य सामने आते हैं - १. कन्नौज का राजा आम नागावलोक गौड़ नृपति धर्मपाल ( ७७०-८१० ई.) का प्रतिद्वन्दी तथा भोज ( मिहिर ) का पितामह था। वह बप्पभट्टि सूरि का मित्र एवं शिष्य था। उसकी मृत्यु ८३३ ई० में हुई थी। अतः इसे गुर्जर प्रतीहारवंशी 'नागभट्ट द्वितीय' ( ८००-८३३ ई० ) माना जा सकता है। २. धर्म गौड़ देश का पालवंशीय राजा धर्मपाल था। उसकी राजसभा में बौद्ध पण्डित वर्धनकुंजर था। धर्मपाल एक बौद्ध नरेश तो था किन्तु वर्धनकुंजर नामक बौद्ध पण्डित का नाम ज्ञात नहीं होता । ३. आम और गौड़ नरेश धर्मपाल में चिरन्तन बैर था। यह बैर उनके धर्मों-कमशः जैन और बौद्ध-के भेदों पर भी आधारित था। आम कान्यकुब्ज देश में राज्य करता रहा, जिसमें गोपगिरि ( ग्वालियर ), कालिंजर, सौराष्ट्र, रैवतक और प्रभास सम्मिलित थे । स्तम्भतीर्थ भी उसके राज्य में सम्मिलित था। आम ( नागभट्ट द्वितीय और धर्मपाल में सन्धि हो गयी। ४. आम ने राजगिरि को भी जीता था, जिसकी पुष्टि भोज के ग्वालियर अभिलेख से होती है।' ५. आम नागावलोक का पुत्र दुन्दुक था और दुन्दुक का पुत्र भोज । यह रामभद्र का सम्भवतः विद्रूपित नाम है। रामभद्र कन्नौज का शासक था और कन्नौज में ही मिहिरभोज का जन्म हुआ था। इसमें लेशमात्र भी सन्देह नहीं है कि रामभद्र ने सूर्य की उपासना करके सूर्यदेव की कृपा से एक पुत्र प्राप्त किया जिसको 'मिहिर' नाम दिया गया। कन्नौज-मन्दिर के सूर्य देवता का नाम ही मिहिर था। १. 'आमो राजगिरिमविक्षत्', वही, पृ० ४१; दे० ग्वा० प्र० । २. 'सुतं रहस्य व्रतसुप्रसन्नात्सूयदिवापन्मिहिराभिधान', ग्वा० प्र० श्लोक १५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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