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________________ ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन [ ४९ प्रबन्ध-ग्रन्थ इसे लाट देश के अन्तर्गत बतलाते हैं । प्रबन्धकोश में यह मालवा में स्थित बतलाया गया है। आकर पूर्वी मालवा ( राजधानी विदिशा ) और अवन्ति पश्चिमी मालवा ( राजधानी उज्जयिनी ) के लिए प्रयुक्त होता था । प्रबन्धकोश में वर्णित कुर्मारपुर और उसके राजा देवपाल का समीकरण एक समस्या है। कुमारपालचरित में इसे कुमारग्राम कहा गया है । आधुनिक गंजाम जिले के बेरहमपुर ( तालुके ) में कुमारपुर नामक एक गाँव है । राजशेखर के अनुसार कुमारपुर चित्रकूट से पूर्व देश में स्थित था, जहाँ देवपाल राजा था । पूर्वी प्रान्त में चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने युवराज कुमारगुप्त ( कुमारदेव ) को प्रान्तीय शासक नियुक्त किया होगा । कालान्तर में उसके नाम से वह स्थान कुमारपुर प्रसिद्ध हो गया होगा । मेहरौली लौह स्तम्भ अभिलेख से विदित होता है कि बंगाल में कई राजा गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण करने के लिये इकट्ठे हो गए थे जिनको राजा चन्द्र ( चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ) ने पराजित किया । विक्रमादित्य के पड़ोसी राजागणों द्वारा एक साथ इकट्ठे होकर आक्रमण करने की योजना का वर्णन राजशेखर ने भी किया है । अन्तर इतना है कि आक्रमण की योजना राजशेखर के अनुसार सूरि प्रभाव से टली जबकि अभिलेख प्रमाणित करता है कि राजा १. ओंकार नगर अंकित सिक्कों के लिये दे० गोपाल, लल्लनजी : अर्ली मेडिवल क्वायन - टाइप्स ऑफ नार्दर्न इण्डिया, द न्यूमिस्मैटिक सोसाइटी ऑफ इण्डिया, वाराणसी, १९६६, पृ० १३ प्रभाच, पृ० ३१; पुप्रस पृ० ९३ । २. कुपाच, पृ० ८८ ३. प्रको, पृ० १७; यह गौड़देश का पालवंशीय राजा देवपाल ( लगभग ८१०-८५० ई० ) नहीं है जिसका उल्लेख बादाल स्तम्भ - लेख ( इपि० इण्डि० ) द्वितीय, पृ० १६० - १६५ में है । ४. फ्लीट : गुप्त-अभिलेख, उद्धृत पाण्डेय, राजबली : प्राचीन भारत, पृ० २६४, टि० ३; "सीमालभूपालाः सम्भूय: मद्राज्यं जिघृक्षव, प्रको, १० १७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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