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________________ ४४ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन वह ब्राह्मण-भक्त और विलासी था। पुराणों के अनुसार उसके अमात्य वसुदेव कण्व ने उसका वध कर दिया और स्वयं राजा बन बैठा । इस तथ्य की पुष्टि 'हर्षचरित' ने भी की है ।" इसके अलावा अन्य कोई ऐतिहासिक तथ्य इस प्रबन्ध में नहीं हैं । ५. पादलिप्ताचार्य प्रबन्ध कोशल में विजय वर्मा राजा थे । वहाँ के एक श्रेष्ठि- कुल में, वैरोटी देवी की आराधना और आचार्य नागहस्ति के आशीर्वाद से एक पुत्र ( पादलिप्त ) का जन्म हुआ । इसलिए इनके पिता फुल्ल और माता प्रतिमा ने इनका नाम नागेन्द्र रखा । नागेन्द्र की शिक्षा-दीक्षा आचार्य नागहस्ति के संघ में हुई । मण्डनमुनि ने इन्हें पढ़ाया। कालान्तर में गुरु कृपा से इन्हें लेप का ज्ञान मिला जिसे पैरों में लगाने से आकाशमार्ग से चलने की शक्ति प्राप्त होती थी । यही पादलिप्त के नाम का स्पष्टीकरण दिया गया है। पादलिप्त ने पाटलिपुत्र के राजा मुरुण्ड की दीर्घकालीन शिरोवेदना शान्त कर दी थी और वहाँ के जैन यतियों के कष्ट का भी निवारण किया था । ढंक पर्वत पर नागार्जुन ने पादलिप्त से गगनगामिनी- विद्या ग्रहण की और हेमसिद्धि-विद्या प्राप्त करने के लिये रस दोहन के निमित्त वासुकि नाग की आराधना की थी । पादलिप्त का प्रतिष्ठानपुर ( पैठन ) के राजा सातवाहन ने भी स्वागत किया । पादलिप्त ने एफ० ई० : द डाइनेस्टीज ऑफ द कलि एज ( पृ० ७०) देवभूति को ७४-६४ ई० पू० तक १० वर्षों का शासन काल प्रदान करता है । देवभूति को देवभूमि और क्षेमभूमि भी कहा गया है । १. देवभूति तु शुंगराजानं ध्यसनिनं तस्यवोमात्यः कण्वो वासुदेवनामा तं निहत्य स्वयमवनी भीक्ष्यति । विष्णु० ४ ० २४, ३९, पृ० ३५२ ( गीता प्रेस संस्करण ); ब्रह्म० ३. ७४. १५५ वायु० ९९. ३४४; मत्स्य० २७२. ३१ । अतिस्त्रीसङ्गरतम गपरवशं दुहित्रा देवीव्यञ्जनया वीतजीवितमकारयत् । बाण : हर्षचरितम्, षष्ठ उच्छ्वास, चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी, १९६४, पृ० ३५३ ( बम्बई संस्करण, १९२५ ); षष्ठ उच्छ्वास, पृ० १९९ । शुंगममात्यो वसुदेवो देवभूतिदासी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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