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________________ ग्रन्थ-परिचय [ ३१ पाटन संघ के ग्रन्थ-भण्डार से, अहमदाबाद के सुप्रसिद्ध डेला-उपाश्रय में रक्षित ग्रन्थ-भण्डार से तथा हेमसभा से प्राप्त हुई थी। इस बहुमूल्य संस्करण में आठ पृष्ठों की हिन्दी में प्रस्तावना, तीन परिशिष्ट तथा दो सूचियाँ हैं। सिंघी जैन ग्रन्थमाला के संस्थापक तथा ग्रन्थमाला सम्पादक की प्रशस्तियाँ भी दी गई हैं। यह संस्करण मूल ग्रन्थ के आठ पृष्ठों के हाफटोन ब्लॉक चित्रों से सुसज्जित है। ४. अनुवाद - अनुवाद मूल ग्रन्थ को अन्यान्य भाषा-भाषी तक पहुँचाते हैं। दुर्भाग्य से प्रबन्धकोश का अनुवाद अब तक केवल दो बार गुजराती में ही हो सका है - एक १८९५ ई० में मणिलाल नभुभाई द्विवेदी द्वारा और दूसरा १९३४ ई० में हीरालाल रसिकदास कापड़िया द्वारा । __ प्रथम अनुवाद द्विवेदीजी ने 'चतुर्विंशतिप्रबन्ध' शीर्षकान्तर्गत भूतपूर्व बड़ौदा रियासत के शिक्षा-विभाग के तत्वावधान में किया था। किन्तु इस भाषान्तर को अनुवाद न कहकर एक विचित्र प्रकार का वर्णन ही कहना चाहिए जो पुरातन शैली की भाषा में पुरानी लीक पर किया गया था। अनुवादक ने इसमें अपने विचार भी प्रविष्ट कर दिये हैं। प्राकृत पद्यों के अनुवाद में भी त्रुटि रह गयी थी। १९३४ ई० में फोर्ब स गुजराती सभा बम्बई के तत्वावधान में कापड़िया ने 'प्रबन्धकोश' का दूसरा अनुवाद 'चतुर्विंशति प्रवन्ध नुं भाषांतर' शीर्षक से प्रकाशित किया। जिनविजय ने सिंघी जैन ग्रन्थमाला के प्रबन्धकोश ( १९३५ ई० ) के प्रास्ताविक वक्तव्य में आश्वासन दिया था कि "प्रास्ताविक ग्रन्थ का सम्पूर्ण हिन्दी भाषान्तर, द्वितीय भाग के रूप में प्रकट होगा। ग्रन्थागत ऐतिहासिक बातों का विवेचन और ग्रन्थकर्ता का विशेष परिचय आदि अन्य ज्ञातव्य बातें, उसी में विस्तार के साथ लिखी जाएँगी।" किन्तु ये कार्य आज तक न हो सके। ५. रचना-उद्देश्य __ग्रन्थ-परिचय ग्रन्थ-रचना के उद्देश्यों को स्पष्ट किये बिना नहीं दिया जा सकता है। वर्गचतुष्टय, बुद्धिविकास, नैतिक शिक्षा, हित एवं विनोद, कीर्ति विस्तार, लोकोपदेश व राजकुमारों को शिक्षित १. प्रको, प्रा० वक्तव्य, पृ० ८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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