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( xxii ) अध्याय
पृष्ठ २८, ग्रन्थ के चार शीर्षक - २८, प्रबन्धकोश के तीन संस्करण - ३०, इसका केवल गुजराती में दो अनुवाद - ३१, ग्रंथ-रचना के उद्देश्य - ३१,
ग्रंथ की भाषा व शैली - ३५ । चार : ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन ३७ - ६८
भद्रबाहु-वराह प्रबन्ध - ३८, आर्यनन्दिल प्रबन्ध४०, जीवदेवसूरि प्रबन्ध - ४१, आर्यखपटाचार्य प्रबन्ध - ४२, पादलिप्ताचार्य प्रबन्ध - ४४, वृद्धवादि-सिद्धसेन प्रबन्ध -४७, मल्लवादिसूरि प्रबन्ध - ५०, हरिभद्रसूरिप्रबन्ध - ५२, बप्पभट्टसूरि प्रबन्ध - ५३, हेमसूरिप्रबन्ध - ५६, हर्षकवि प्रबन्ध - ५९, हरिहर प्रबन्ध - ६१, अमरचन्द्रकवि प्रबन्ध - ६२, मदनकीर्ति प्रबन्ध - ६३,
सातवाहन प्रबन्ध - ६५ । पांच : ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन (क्रमशः)
६९ - १०५ वङ्कचूल प्रबन्ध - ६९, विक्रमादित्य प्रबन्ध -७७, नागार्जुन प्रबन्ध --- ७८, वत्सराजोदयन प्रबन्ध - ८०, लक्ष्मणसेन और मन्त्री कुमारदेव का प्रबन्ध - ८२, मदनवर्म प्रबन्ध - ८३, रत्नश्रावक प्रबन्ध --- ८६, आभड़ प्रबन्ध - ९३, श्रीवस्तुपाल प्रबन्ध
छः : राजशेखर का इतिहास-दर्शन : स्रोत एवं साक्ष्य
१०६ - १२३ इतिहास का अर्थ - १०६, इतिवृत्त का आशय - १०६, इतिहास-दर्शन की अवधारणा - १०७, राजशेखर का इतिहास-दर्शन - १०८, इतिहास के लिये प्रयुक्त शब्द - १०९, उसकी इतिहास सम्वन्धी अवधारणा - ११०, राजशेखर के इतिहास-स्रोत
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