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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
में उसे अनेक आश्रयदाता मिले । राजशेखर की भाँति जाँ फोईसार में जीवनी - - सादृश्य भी पाया जाता है । राजशेखर को क्रमशः गच्छवृद्धि, दीक्षा, वाचनाचार्य पद, सूरिपद और मुहम्मद तुगलक के दरबार में स्वागत-सत्कार प्राप्त हुए थे। उसी प्रकार फोईसार को १३७३ ई० में पादरी - पद, १३८१ ई० में ब्लोई काउण्टी में निजी चैप्लेन - पद, १३८९ ई० में महारानी इसाबेला के राजशाही स्वागत समारोह में आमन्त्रण तथा १३९५ ई० में इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड द्वितीय द्वारा शानदार स्वागत-सत्कार प्राप्त हुए थे 1
विस्तृत भ्रमण एवं विभिन्न पदों पर आसीन रहने का प्रभाव फोईसार के इतिहास-लेखन पर यह पड़ा कि भिन्न-भिन्न समयों में वह अपने क्रॉनिक्यू ( क्रॉनिकल्स ) मूल इतिवृत्त के विभिन्न भागों को पूरा करता रहता और संशोधनों, नवीन अध्यायों एवं नयी सामग्रियों से युक्त करता रहता था । फ्लैण्डर्स पर उसने अधिक लिखा है । जब उसका ध्यान स्पेन- पुर्तगाल युद्धों की ओर गया, वह स्वयमेव सूचना प्राप्त करने के लिये कई राजाओं के दरबार में रुका । उसके आन्तरिक साक्ष्य प्रमाणित करते हैं कि फोईसार ने १४०४ ई० के अन्त में अपनी इंग्लैण्ड यात्रा का विवरण दिया था । '
राजशेखर के प्रबन्धकोश की भाँति फोईसार के लेखों और क्रॉनिकल्स में गद्यात्मकता और उपदेशात्मकता पाई जाती है । फोईसार नाइटों की शूरता और गद्य में रचे क्रॉनिकल्स के लिए सर्वाधिक याद किया जाता है । जिस प्रकार राजशेखर ने विविधतीर्थंकल्प का उपयोग किया और अपने पूर्ववर्तियों से प्रबन्ध - कला ग्रहण की उसी प्रकार जाँ फोईसार ने इतिवृत्त -कला जाँ ल बेल के लेखों से सीखी होगी क्योंकि 'क्रॉनिकल्स' भाग एक के प्रथम संस्करण में जाँ ल बेल द्वारा
वर्णित घटनाओं का ही उल्लेख है । "
जॉ फोईसार ने अपने स्रोतों का उपयोग सम्मानपूर्वक किया है किन्तु घटनाओं के इतने समीप रहते हुए भी उसमें अपने युग का सन्तुलित चित्रांकन करने की राजनीतिक मेधा का अभाव था । एक
१. इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका ग्रन्थ ९, पृ० ९५३ ।
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२. वही, पृ० ९५४ |
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