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________________ १४४ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन १२३५-५९ ई० के बीच की यूरोपीय घटनाओं के महत्वपूर्ण ज्ञान-स्रोत हैं।' मैथ्यू इंग्लैण्ड में वेस्ट मिन्स्टर, विन्चेस्टर आदि राजदरबारों के घनिष्ट सम्पर्क में था और अपनी स्पष्टवादिता के कारण उसे राजकीय कृपा भी प्राप्त थी। राजशेखर के सम्बन्ध में ऐसा नहीं कहा जा सकता। वह राजाश्रय का मुखापेक्षी न था। ___ मैथ्यू पेरिस ऐतिहासिक कागजातों ( मैग्नाकार्टा के मूल अंश ) में फेरबदल करने से नहीं चूका। उसकी रुचि संकीर्ण थी। उसका न्याय पक्षपातपूर्ण था, फिर भी राजा की नीति की आलोचना लिख लेने का उसमें साहस था। यह सत्य है कि मैथ्यू पेरिस इन आलो. चनाओं को दिन का उजाला नहीं दिखाना चाहता था फिर भी उसने अपनी कृति के संशयात्मक गद्यांशों के हासिये पर लैटिन शब्द 'ऑफेण्डीकुलम्' ( अर्थात् 'तनिक दोषयुक्त' ) लिख देता था।' ___ अंग्रेज इतिवृत्तकारों के मुख्य उद्देश्य थे - विद्वत्ता का आनन्द, स्वाभिमान की अनुभूति, राजाश्रय की प्राप्ति तथा देश-भक्ति की प्रेरणा। ये उद्देश्य मैथ्यू पेरिस और राजशेखर दोनों में पाये जाते हैं। इतिवृत्तकार के रूप में मैथ्यू की प्रसिद्धि चार कारणों से है। प्रथम, उसे समूचे यूरोप की घटनाओं की जानकारी थी। दूसरे, वह अपने समय के महान राजनीतिज्ञों और महान पुरुषों ( हेनरी तृतीय, कार्नवाल के रिचर्ड ) से सूचनाएँ प्राप्त करता था। तीसरे, उसके पास प्रामाणिक कागजातों की विशाल संख्या थी, जिन्हें उसने अपने इतिवत्त या परिशिष्ट में समाहित किया । अन्ततः वह अपनी स्पष्टवादिता और निर्भीक अभिव्यक्ति के लिये भी विश्रुत था जो राजा, राजदरबारी, विदेशी पक्षधर या पोप तक के विरुद्ध व्यक्त हो जाती थी। १. इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, ग्रन्थ १७, पृ० २८५ । २. उडवार्ड, पूर्वनिर्दिष्ट, पृ० २५२-२५३ । ३. जोन्स, डब्ल्यू लेविस : पूर्वनिर्दिष्ट, पृ० १५६-१५७ । ४. इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, ग्रन्थ १७, पृ० २८५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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