________________
तुलनात्मक अध्ययन
[ १४३
इतिहास-लेखन के केन्द्र हो गये और आधुनिक समाचार एजेन्सियों की तरह कार्य करने लगे। मध्यकाल का इतिहास अभी भी अपने तथ्यों के लिये परम्पराओं पर निर्भर था क्योंकि उन परम्पराओं की आलोचना करने के प्रभावकारी शस्त्र उसके पास न थे। यूरोप में सन्तों की जीवनियाँ और राजाओं के उत्थान-पतन की कहानियाँ इतिवृत्त के रूप में लिखी गयीं। इस युग में राजागण भी इतिवृत्तों में रुचि रखने लगे। इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन आदि में राजकीय इतिहासकार नियुक्त किये जाने लगे और आज भी स्कॉटलैण्ड में एक है।' ब्रिटिश इतिवृत्तों में रुचि-वैविध्य, सूचनाओं की सम्पन्नता और विस्तार की गहनता थी। उनके दृष्टिकोण इतने विस्तृत और वर्णन इतने प्रामाणिक होते थे कि उनकी सहायता से तत्कालीन जर्मनी का इतिहास लिखा गया।
इंग्लैण्ड में ऐतिहासिक सामग्रियों का संकलन और इतिहासलेखन राजाओं व राजनीतिज्ञों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता था। बीडी ( निधन ७३५ ई० ) ने लैटिन में 'इक्लीजिएस्टिकल हिस्टरी ऑफ द इंग्लिश नेशन' लिखा जिसके अनुवाद में राजा अल्फ्रेड ने भाग लिया था।३ इंग्लैण्ड के इतिहासकारों में मैथ्यू पेरिस ( १२००-५९ ई० ) की 'क्रॉनिका मेजोरा' और 'हिस्टोरिया माइनर' इस युग की प्रसिद्ध लैटिन रचनाएँ हैं। मैथ्यू पेरिस सेण्ट अलबंस ( लन्दन के समीप ) के मठ की परम्परा का अनुयायी था, जहाँ के मठीय वातावरण में इतिवृत्तकारों की एक परम्परा पनपी और उसके पास इतिहास की एक सुनिश्चित अवधारणा थी।' मैथ्यू पेरिस के विशालकाय लेखन
१. उडवार्ड, पूर्वनिर्दिष्ट, प० १४७ । २. स्टन्स : लेक्चर्स ऑन मेडिवल ऐण्ड मॉडर्न हिस्टरी, पु० १२५ । ३. वही, पृ० १४८; इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, ग्रन्थ ११, पृ० ५३२। ४. जोन्स, डब्ल्यू. लेविस : कैम्ब्रिज हिस्टरी ऑफ इंग्लिश लिटरेचर,
जि० १, कैम्ब्रिज, १९६३, पृ० १७८-१८२; हिहिरा, पृ० ७२ व आगे। वाह्न रिचर्ड : मैथ्यू पेरिस, १९५८, जो इरविन, रेमण्ड : द हेरिटेज ऑफ द इंग्लिश लायब्ररी, लन्दन, १९६४, पृ० १६० से उद्धृत; हिहिरा, पृ० ७२ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org