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तुलनात्मक अध्ययन
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या उनका अति संक्षेप में उल्लेख किया है । बरनी ने शादी के गुजरात आक्रमण का जानबूझ कर वर्णन नहीं किया है क्योंकि शादी का वध पराओं जैसी निम्न जाति द्वारा हुआ था। उसने अभियानों, सैन्यव्यूह रचनाओं, विजयों, सन्धियों आदि का, जिनको वह पसन्द नहीं करता था, अति संक्षेप में वर्णन किया है। इससे उसके द्वारा उस समय का सच्चा इतिहास समझने में बड़ी कठिनाई होती है। वह प्रशंसा में व्यक्ति को स्वर्ग तक उठा देता था और तिरस्कार में उसकी कलम जहर उगलती थी। वृद्धावस्था की परछाई और फीरोज को प्रसन्न करने की अभिलाषा ने बरनी के वृत्तान्त दूषित कर दिये हैं।'
बरनी समकालीन सुल्तानों के आदेश से और उनके सामने अपने ग्रन्थ रचा करता था, इसलिये वह ईमानदार इतिहासकार नहीं है। उसने बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएँ बिल्कुल छोड़ दी हैं । मुहम्मद तुगलक ने घोर हत्या और बेइमानी से राज्य प्राप्त किया था, इसका भी उल्लेख नहीं किया गया है। बरनी स्वीकार करता है कि मुहम्मद तुगलक के समक्ष सत्य बोलने का साहस नहीं था। अतः वह ढोंग रचता था। राजशेखर ने ऐसा नहीं किया।
तारीख-ए-फीरोजशाही में घटनाओं का कालक्रम दूषित है। उसमें तारीखें कम दी हैं और जो हैं वे शुद्ध नहीं हैं। जो उसे याद था लिख दिया और वही याद रखता था जो उसके मस्तिष्क को प्रभावित करता था।' यद्यपि खल्जी शासन की घटनाओं का कालक्रम सही है, तथापि वह मुहम्मद तुगलक के शासन की केवल चार तिथियाँ प्रदान करता है- राज्यारोहण, खलीफा से पद-प्राप्ति, गुजरात अभि
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१. रिजवी, सै० अतहर अब्बास ( अनु० ) : आदि तुर्ककालीन भारत,
अलीगढ़, १९५६, पृ० ११९ । २. इलियट और डाउसन, तृतीय ( हि० अनु० ), पृ० ६४ । ३. वही, पृ० ६३। ४. बरनी : तारीख-ए-फीरोजशाही, पृ० ५५६-५१७ । ५. दे. निजामी, के० ए०, पृ० ४५; इलियट और डाउस न, तृतीय, हि
अनु० ), पृ० ६४; हबीब, मो० : द पॉलिटिकल थेयरी ऑफ द देलही सल्तनत, पृ० १२६ ।
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