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________________ तुलनात्मक अध्ययन [ १७३ मुहम्मद रशीद आदि को संरक्षण प्रदान किया। कुतुबुद्दीन ऐबक ( १२०६-१० ई०) विद्वानों के प्रति इतना उदार था कि उसे लाखबख्श कहा जाने लगा। इल्तुतमिश ( १२११-३६ ई० ) के दरबार में ख्वाजा अबू नसर, रुहानी और नूरुद्दीन मुहम्मद अवफी प्रसिद्ध थे ।' तवकात-ए-नासिरी का रचयिता मिनहाजुद्दीन सिराज नासिरुद्दीन महमूद ( १२४६-६६ ई० ) के दरबार में था। 'अपने सम्पोषक नासिरुद्दीन के सम्मानार्थ उसने अपनी पुस्तक का नाम तबकात-ए-नासिरी रखा" जो प्रारम्भिक समय से लेकर १२६० ई. तक का राजनीतिक इतिहास है। यह ग्रन्थ २३ तबकों ( अध्यायों) में विभाजित है। उसमें ऐतिहासिक घटनाएँ राजवंशीय क्रमानुकूल व्यवस्थित हैं। तबकात-ए-नासिरी की गद्य-शैली परिष्कृत एवं प्रवाहपूर्ण नहीं है।' उसमें कालक्रमीय दोष पाये जाते हैं और स्रोतों की प्रामाणिकता का अभाव है। ग्रन्थ की योजना भी दूषित है क्योंकि एक ही बात को बार-बार लिखा गया है । परन्तु इस ग्रन्थ की भाषा शुद्ध, सीधी और स्पष्ट है। इसीलिये तबकात-ए-नासिरी का भारत और यूरोप दोनों में बड़ा आदर है। तारीख-ए-अलाई अथवा खजाइन-उल-फुतूह का रचयिता 'तूतीए-हिन्द' अमीर खुसरो ( १२५३-१३२५ ई० ) पटियाली जिला एटा में जन्मा भारतीय था। वह निजामुद्दीन औलिया का शिष्य, बरनी का मित्र और बलबन ( १२६६-८६ ई. ) से लेकर गयासुद्दीन तुगलक ( १३२०-२५ ई० ) के समय तक के कई सुल्तानों का दरबारी था।' १. श्रीवास्तव, आ० ला० : मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, आगरा, १९७३, पृ० १०३-१०४। २. ईलियट और डाउसन, खण्ड द्वितीय, पृ० १९०; 'तबकात' का अं० अनु० रेवर्टी, एच० जी०, दो जिल्द, लन्दन १८८१, रिप्रिण्ट, नई दिल्ली, १९७० । ३. दे. ईश्वरी प्रसाद : भारतीय मध्ययुग का इतिहास, इलाहाबाद, १९५५, पृ० ५३९-५४० । ४. मिर्जा, मो० वाहिद : द लाइफ ऐण्ड वर्क्स ऑफ अमीर खुसरो, दिल्ली, पुनर्प्रकाशित, १९७४, पृ० १७ । 'यह भूमि मेरी जन्मभूमि है' नूह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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