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________________ १७४ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन खुसरो ने कविता, कहानी, दीवान, मसनवी और इतिहास आदि पर गद्य-पद्य में, फरिश्ता के अनुसार ९९ रचनाएँ की थीं जिनमें से नवाब इशाक खाँ (१९१५ ई० ) केवल ४५ खोज सके थे और आज कुल २१ रचनाएँ ही उपलब्ध हो सकी हैं ।' व्यापक सम्पर्क के कारण उसे तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं एवं सामाजिक दशाओं का व्यक्तिगत ज्ञान था । खजाइन-उल- फुतूह नामक गद्य-रचना में अलाउद्दीन खिल्जी के राज्यारोहण ( १२९६ ई० ) से माबार - विजय ( १३१० ई० ) तक के समकालिक वृत्तान्त हैं । इस छोटी-सी रचना से तत्कालीन युद्धप्रणाली की इतनी ठोस जानकारी मिलती है जितनी अन्य किसी पुस्तक में नहीं । अलाउद्दीन द्वारा दुर्गों, तालाबों के निर्माण व जीर्णोद्धार, मंगोल आक्रमणों और अलाउद्दीन की गुजरात, सोमनाथ, नेहरवाला, खम्भात, रणथम्भौर, मालवा, चित्तौड़, देवगिरि, दक्षिण मथुरा, मथुरा और माबार विजयों के वर्णन हैं । खजाइन-उल- फुतूह हमें यथेष्ट और विश्वसनीय तिथियाँ साल महीना दिन में प्रदान करती है । घटनाओं का वर्णन सही और कालक्रमानुसार हुआ है । कालक्रम के बारे में प्रबन्धकोश से इसका साम्य है, परन्तु परवर्ती तारीख-ए-फीरोजशाही से यह अधिक विश्वसनीय है । किन्तु अमीर खुसरो के विषयों की विविधता, भव्य वक्तृता, शब्दाडम्बर एवं काव्यात्मक अतिशयोक्तियाँ उसके ग्रन्थों की ऐति सिपेहर, तृतीय, पृ० ४३; श्रीवास्तव, आ० ला० : मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, पूर्वनिर्दिष्ट, पृ० १०५, निजामी, खालिक अहमद का लेख 'अमीर खुसरो', हिन्दी विश्वकोश, खण्ड १, ना० प्र० सभा, वाराणसी, १९६०, पृ० १९९; दे० हार्डी, पी० : हिस्टोरिएन्स ऑफ मेडिवल इण्डिया, अध्याय ५ । १. मिर्जा, मो० वाहिद : पूर्वनिर्दिष्ट, पृ० १४८ - १४९ पर उन ४५ ग्रन्थों की सूची दी गयी है । २. दे० ईलियट और डाउसन, तृतीय खण्ड, ( हिन्दी अनु० ) शर्मा, मथुरालाल, आगरा, १९७४, पृ० ४५-६१ । ३. रिजवी, सं० अतहर अब्बास ( अनु० ) खिलजीकालीन भारत, अलीगढ़, १९५५, ० ङः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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