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________________ १५६ ॥ प्रबन्धकौश का ऐतिहासिक विवेचन कल्प t ( २ ) प्रबन्धचिन्तामणि, (३) प्रबन्धकोश और (४) विविधतीर्थये ४ ग्रन्थ मुख्य हैं । ये चारों ग्रन्थ परस्पर बहुत कुछ समानविषयक हैं और एक-दूसरे की पूर्ति करने वाले हैं ।"" जैनधर्म के ऐतिहासिक प्रभाव को प्रकट करने वाले प्राचीनकालीन प्रायः सभी प्रसिद्ध व्यक्तियों का थोड़ा-बहुत परिचय इन चार ग्रन्थों के संकलित अवलोकन और अनुसन्धान द्वारा हो सकता है । प्रबन्धकोश इन चारों में कालक्रम की दृष्टि से कनिष्ठ अर्थात् सबसे बाद का है और अपने पहले के इन तीनों प्रबन्धों का ऋणी है । इसके कई प्रकरण उक्त ग्रन्थों से शब्दशः उद्धृत किये गए हैं, कई तनिक भाषा या रचना में परिवर्तन करके लिखे गए हैं, कई पद्य से गद्य में अवतरित किये गए हैं और कुछ प्रबन्ध स्वतन्त्र ढंग से मौलिक रूप में भी गूँथे गए हैं । अतः यहाँ पर उक्त प्रबन्ध ग्रन्थों की प्रबन्धकोश से तुलना की जायेगी, जिससे प्रबन्धकोश की प्रकृति, प्रणाली और इतिहास - दर्शन पर प्रकाश पड़ेगा । ( १ ) प्रभावक चरित --> प्रभावकचरित ( १२७७ ई० ) को 'पूर्वषिचरित' भी कहते हैं । यह हेमचन्द्र के परिशिष्टपर्व का एक प्रकार से पूरक ग्रन्थ है । परिशिष्टपर्व में जम्बू से लेकर वज्रस्वामी तक चरित दिये गये हैं और प्रभावकचरित में वज्रस्वामी से हेमचन्द्र तक आचार्यों की जीवनियाँ दी गयी हैं। इसमें विक्रम की पहली शताब्दी से लेकर १३वीं शताब्दी तक बाईस आचार्यों के चरित वर्णित हैं । उनमें प्राचीन आचार्यों में पादलिप्त, सिद्धसेन, मल्लवादी, हरिभद्रसूरि तथा बप्पभट्टि के चरित उल्लेखनीय हैं । उनमें हर्षवर्द्धन, प्रतीहार सम्राट् आम नागावलोक, भोज परमार, भीम ( प्रथम ), सिद्धराज, कुमारपाल आदि इतिहासप्रसिद्ध राजाओं एवं बाण, वाक्पति, माघ, धनपाल, वीरसूरि, शान्तिसूरि आदि के भी विवरण हैं । इसमें हेमचन्द्राचार्य के विषय में दिया १. प्रभाव, प्रा० वक्तव्य, पृ० १; वित्तीक, प्रा० निवेदन, पृ० ९; प्रको, प्रा० वक्तव्य, पृ० १ । २० दे० प्रको, प्रा० वक्तव्य, पृ० २ । ३. दे० प्रभाव, प्रा० वक्तव्य, पृ० ५ प्रको, प्रा० वक्तव्य, पृ० २; जैसाबृति, पू० २०५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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