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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
विश्वसनीयता बढ़ जाती है क्योंकि उक्त तिथि का वर्णन करने के तत्काल बाद राजशेखर ने बप्पभट्टि के स्वर्गारोहण का स्थूल कालक्रम दिया है । वह कहता है कि तब से पञ्चानवे वर्ष अधिक हो जाने पर ( तदनुसार ८३८ ई० में ) बप्पभट्टि ने स्वर्गारोहण किया। यदि राजशेखर को कोई कल्पित कालक्रम देना होता तो बप्पभट्टि की जन्मतिथि की तरह निधन - तिथि का भी सूक्ष्मातिसूक्ष्म वर्णन कर देता । इससे सिद्ध होता है कि राजशेखर को केवल वही सूक्ष्म तिथियाँ देना अभीष्ट था जिनका उसे सटीक ज्ञान था ।
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राजशेखर ने सूक्ष्म कालक्रम का दूसरा उदाहरण वस्तुपाल प्रबन्ध में प्रस्तुत किया है । ज्वर से पीड़ित वस्तुपाल कहता है - " मलधारी नरचन्द्रसूरि का निधन भाद्रवदि १० के दिन संवत् १२८७ ( तदनुसार १२३० ई० ) में हुआ था । स्वर्ग-गमन के समय हम लोगों से कहा था कि आप १२९८ वर्ष ( तदनुसार १२४१ ई० ) में स्वर्गारोहण करेंगे ।' वस्तुपाल के निधन की उक्त तिथि ( १२९८ वि० सं० ) को राजशेखर ने बल प्रदान किया है क्योंकि उक्त तिथि के सम्बन्ध में नरचन्द्रसूरि ने पूर्व घोषणा कर दी थी जिनकी वाणी में सिद्धि-सम्पन्नता रही । किन्तु समकालीन साक्ष्य वसन्त-विलास में निधन - तिथि वि० सं० १२९६ ( तदनुसार १२३९ ई०) दी गयी है जो सही प्रतीत होती है । १३०८ विक्रम वर्ष ( तदनुसार १२५१ ई० ) में तेजपाल भी स्वर्ग चले गये ।"
सूक्ष्म कालक्रम का तीसरा नमूना ग्रन्थकार - प्रशस्ति में प्राप्त होता है । राजशेखर कहता है कि "शरगगनमनुमिताब्दे ( १४०५ ) में
१. " नच्चनवत्याधिकेषु तेषु गतेषु स्वर्गारोहणम् ।" प्रको, पृ० ४५ ।
२. श्रीनरचन्द्रसूरिभिर्मल्लधारिभिः संवत् १२८७ वर्षे भाद्रपदवदि ५० दिने दिवंगमसमये वयमुक्ताः - मन्त्रिन् ! भवतां १२९८ वर्षो स्वर्गारोहो भविष्यति ।" वही, पृ० १२७-१२८
३. गाओसी, सप्तम, सर्ग १४, पद ३७ । ४. दे० पूर्ववर्णित अध्याय ५, ऐति० तथ्य ५. दे० वही ।
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वस्तुपालप्रबन्ध |
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