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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
योजना की सफलता थी। जब वस्तुपाल को प्रथम मोजदीन ( इल्तुतमिश ) की सेना के आगमन का समाचार मिला, उसने एक योजना बनायी।
(१) वस्तुपाल ने धारावर्ष के पास सेना को भेजा और आदेश दिया कि तैयारी करे।
(२) वस्तुपाल ने अपनी योजना के अन्तर्गत धारावर्ष को यह निर्देश दिया कि जब म्लेच्छ सेना आबू पर्वत के बीच से होकर आने की चेष्टा करेगी, उस आती हुई सेना को रोकना मत, अपितु उस घाटी को घेर लेना।
ऐसा ही हुआ। यवन लोग मारे गये।' इल्तुतमिश की सेना की पराजय के ये दो कारण थे। द्वितीय मोजबीन सुल्तान मुइज्जुद्दीन बहरामशाह ( १२४०
४२ ई.) के साथ आजीवन सम्धि के कारण : . वस्तुपाल और दास-वंश के बहरामशाह ( १२४०-४२ ई०) के बीच आजीवन सन्धि हुई थी। इसका कारण था वस्तुपाल द्वारा सुल्तान व उसके परिवार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना। राजशेखर ने चर्चा की है कि एक बार ( द्वितीय ) मोजदीन सुल्तान ( मुइज्जुद्दीन बहरामशाह ) की वृद्धा माता हज-यात्रा के लिए उत्सुक स्तम्भपुर आयी। वस्तुपाल ने निजी कोलिकों ( युद्धालु जनजातियों ) द्वारा उसके जलयान की वस्तुएँ लुटवा लीं। मन्त्री ने अनभिज्ञता का स्वांग रचा और घर लाकर वृद्धा का सत्कार किया क्योंकि वस्तुपाल अपने को सुल्तान का शुभाकांक्षी सिद्ध करना चाहता था। फिर वस्तुपाल वीरधवल की अनुमति से वृद्धा को दिल्ली पहुँचाने ले गये । जब सुल्तान को वस्तुपाल द्वारा किये गए माता के सत्कारादि का पता चला तो उसने वस्तुपाल को आमन्त्रित किया।
बातचीत के दौरान अवसर देखकर वस्तुपाल ने कहा-“देव !
१. प्रको, पृ० ११७ । २. वही, पृ० ११९-१२० । .
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