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१३२ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन भाग अपने आगे-आगे भेजा और ( ग ) स्वयं सैनिक गतिशीलता में गुप्तरूप से संलग्न हो गया।
(४) जब घूघुल के पक्ष में भगदड़ मच गयी और उसका मन्त्री कटक भाग निकला तब तेजपाल ने घूघुल से कहा - "तुम्हारे शत्रु प्रबल हैं, तुम्हारा सम्पूर्ण बल भग्न हो गया है, उपाय करो।" इन कारणों से युद्धाग्नि भभक उठी। तेजपाल-मसपुर के कारण
वडू वेलाकूल का स्वामी राजपुत्र शंख था, जो अभिमानी था। तेजपाल ने शंख से कहा कि वह सदीक नौवित्तक को समझा दे । शंख ने प्रत्युत्तर दिया कि मेरे एक नौवित्तक से वश नहीं चला। इस प्रत्युत्तर के कारण खिन्न होकर तेजपाल ने शंख से ही युद्ध करने की तैयारी की। आगे राजशेखर कहता है कि शंख की पराजय और सदीक को बन्दी बनाने के बाद तेजपाल ने समूचे महाराष्ट्र के लिए भूमि जीतने का प्रयास किया। वेलाकूल नरेश के बाद अन्य राजा क्रम से प्रतिग्रह ( रिश्वत ) द्वारा मन्त्री तेजपाल के सान्निध्य में आये
और जयश्री अर्पित की। इस कारण से वे सन्तुष्ट हुए और बहुत सी बहुमूल्य वस्तुएँ ले आये। मुसलमानों से संघर्ष के कारण
जिन मुसलमानों के आक्रमणों का वर्णन राजशेखर ने किया है उनमें प्रायः एक समान कारणत्व ही कार्य कर रहे थे। ये आक्रमण
१. 'गतस्तद्देशादर्वाग्भागे कियत्यामपि भुवि; स्थित्वा सैन्यं कियदपि,
स्वल्पमने प्रास्थाश्यत् । स्वयं महति मेलापके गुप्तस्तस्थौ।' वही। २. 'अरिस्तावबली आत्मीयं तु भग्नं सकलं बलम् । तस्मात् कुर्मः
समुचितम् ।' वही। ३. स च सर्ववेलाकूलेषु प्रसरमाणविभवो महाधनाढ्यो बद्धमूलोऽधिकारिणं
नन्तुं नायाति ।' वही, पृ० १०८। ४. 'मन्त्रिन् ! मदीयमेकं नौवित्तकं न सहसे ।' वही, पृ० १०८ । ५. 'इति कारणात् ते तुष्टाः बोहित्थानि सारवस्तुपूर्णानि प्राभूते प्रहिण्वन्ति।'
वही, पृ० १०९।
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