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________________ १३० ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन कुमारपाल की मृत्यु के कारण हेमचन्द्र के स्वर्गारोहण के ३२ वें दिन अजयपाल द्वारा प्रदत्त विष के कारण कुमारपाल परलोकवासी हुआ।' इस कारणत्व में प्रबन्धचिन्तामणि से अधिक वृत्तान्त राजशेखर ने प्रस्तुत किया है। सौभाग्य से कुमारपाल की मृत्यु के सम्बन्ध में जिनमण्डनगणि तथा अबुल फज्ल ने भी इसी कारणत्व को लिपिबद्ध किया है, जिनसे राजशेखर के कारणत्व की पुष्टि हो जाती है । अजयपाल के हृदय में जघन्य विचार आ रहे थे, अवसर आने पर उसने दूध में विष मिला दिया और कुमारपाल को दिया। कुमारपाल को बचाया न जा सका और वह ११७३ ई० में चल बसा । विष देने का औचित्य यह है कि कुमारपाल ने अजयपाल को अनाधिकृत करने के लिए हेमचन्द्र की राय मानी थी, जिसकी अहम् राजनीतिक भूमिका थी। वामनस्थली के युद्ध और सन्धि कार्य के कारण वामनस्थली के युद्ध में एक पक्ष में वीरधवल और दूसरे में उसके साले साङ्गण और चामुण्डराज थे। इस युद्ध का कारण वीरधवल द्वारा वामनस्थली पर कर-रोपण था। वीरधवल की रानी जैतलदेवी सन्धि के हेतु अपने दोनों भाइयों के पास गयी और बोली-“भाइयों! मैं आपके समीप पति-वध से भयभीत होकर नहीं आयी हूँ, अपितु पितृ-गृह के उजड़ने से भयभीत हूँ।"" राजशेखर ने यहाँ पर एक विश्लेषणात्मक कारणत्व प्रस्तुत किया है। जाबालिपुर के चाहमानों में असन्तोष और पञ्चग्राम युद्ध के कारण वीरधवल के पास जाबालिपुर के तीन सहोदर सामन्तपाल, १. 'ततो दिनद्वात्रिंशता राजा कुमारपालो अजयपालदत्तविषेण परलोक गमत् ।' प्रको, पृ० ९८ । २. प्रचि, पृ० ९५; कुमारपाल प्रबन्ध, पृ० ११३-११४; आईन-ए-अकबरी, द्वितीय, पृ० २६३। ३. कुमारपालभूपालचरित, १० वाँ, पद १०७ व आगे । ४. 'समानोदयौं । नाहं पतिवधभीता व समीपमागम्, किन्तु निष्पितृ गृहत्वभीता ।' प्रको, पृ० १०४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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