SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजशेखर का इतिहास-दर्शन : कारणत्व, परम्परा एवं कालक्रम [ १२९ हर्षवर्धन द्वारा राज्यारोहण के अवसर पर की गयी प्रतिज्ञा से मिलतीजुलती थी। वस्तुओं के अभाव में संकट उत्पन्न हो सकता है, यह सोचकर जयचन्द्र ने बंगदेश की खाद्य सामग्री पर रोक लगा दी, जिस कारण संघर्ष बढ़ा। पौलुक्यों भोर मालवा परमारों में संघर्ष के कारण राजशेखर के अनुसार चौलक्यों और मालवा के परमारों के बीच संघर्ष का पहला कारण जयसिंह सिद्धराज की यह प्रतिज्ञा थी कि "मालवा के नरवर्म परमार के चर्म से म्यान बनवाऊँगा।", (२) मदनवर्म, उसकी राजसभा और उसकी नगरी के वसंतमहोत्सव की प्रशंसा सुनने के कारण सिद्धराज की इच्छा विशाल सेना सहित आक्रमण करने की हुई। (३) मदनवर्म नारियों के लिए प्रिय और उनसे हास्य-विनोद करता रहता था, जिस कारण वह सभा में कभी नहीं बैठता था।' (४) अन्त में, मदनवर्म ने सिद्धराज के लिए 'कबाड़ी' और 'वराक' जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था। (५) मदनवर्म ने सिद्धराज को यह सन्देश भिजवाया कि "यदि नगरी व भूमि लेना चाहता है तो युद्ध करेंगे। यदि धन से सन्तुष्ट होता है तो धन ग्रहण करे।"" इस सन्देश ने अग्नि में घृत का काम किया था। १. प्रको, पृ० ८८-८९ । २. 'नरवर्मचमपटितमेव प्रत्याकारं करोमीति प्रतिज्ञावशात् ।' प्रको, पृ० ९१। ३. 'स नारीकुञ्जरः सभायां कदापि नोपविशति । केबलं हसितललितानि तनोति ।' वही, पृ० ९१ । ४. 'स कबाडी राजा वाच्यो भवद्भिः-यदि नः पुरं भुवं च जिघृक्षसि, तदा युद्धं करिष्यामः । अथार्येन तृप्यसि तदार्थ गहाणेति ।' वही, पृ. ९२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy