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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
जिसमें शंख की हार हुई थी। वसन्तविलास, हम्मीरमदमर्दन और प्रबन्धचिन्तामणि द्वारा राजशेखर के इस कथन की पुष्टि होती है। ___ भीमसिंह और पञ्चग्राम के शासकों के साथ युद्ध का समर्थन भी जयसिंह सूरि कृत हम्मीरमदमर्दन से होता है। राजशेखर भीम द्वितीय के शासन की कुछ ऐसी घटनाओं का वर्णन करता है जिन्हें किसी भी इतिहासकार ने वर्णित नहीं किया है।
तत्कालीन ग्रन्थ कीर्तिकोमुदी में एक गोद्रहःनाथ का वर्णन आता है जिसने वीरधवल के विरुद्ध विद्रोह किया था। इसका समीकरण घुघुल से किया जा सकता है क्योंकि प्रबन्धकोश सूचित करता है कि घूघुल महीतट में गोध्रा का शासक था। _प्रबन्धकोशागत पहले मोजदीन का समीकरण इल्तुतमिश ( १२१०३५ ई० ) से हो सकता है। उसका पूरा नाम था 'सुल्तान मुअज्जमसमशुद-दुनिया वउद्दीन अबुल मुजफूफर इल्तुतमिश' । वह राजशेखर का प्रथम मोजदीन हो सकता है। राजशेखर के दूसरे मोजदीन की पहचान वृद्धा माता की हज यात्रा के समय इल्तुतमिश के पुत्र और रजिया ( १२३६-४० ई० ) के उत्तराधिकारी मुइज्जुद्दीन बहरामशाह ( १२४०-४२ ई० ) से की जा सकती है जो वस्तुपाल का समकालीन भी था और उस समय तक वीरधवल का निधन ( १२३७ ई० ) भी हो चुका था। इसी समय 'बहादुर तैर के नेतृत्व में मंगोल हिन्दुस्तान में आ धमके' ।' अतः इस मुइज्जुद्दीन बहराम के दो वर्षों के अल्पकालीन और अप्रसिद्ध शासन में गुजरात अभियान की सम्भावना कम प्रतीत होती है।
वस्तुपाल और तेजपाल के लोक-हित-साधक कार्यों एवं सुकृत्यों की सूची उपर्युक्त प्रशस्तियों के अलावा उदयप्रभूसूरिरचित प्रशस्ति१. गाओसी, चतुर्थ सर्ग, पद २४; सप्तम सर्ग, ५; दशम सर्ग १.५; प्रचि,
पृ० १०२ । २. गाओसी, दसवां, अंक प्रथम, पृ० ७, अंक द्वितीय, पृ० ११ । ३. सर्ग पंचम, पांचवां २५७ । ४. ईश्वरी प्रसाद : भारतीय मध्ययुग का इतिहास, इलाहाबाद, १९५५
पृ० १६९।
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