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________________ ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन (क्रमशः) [ ९९ ई० ) के समय के नासिक गुफा-अभिलेख में इसका वर्णन आता है। इस तीर्थ-स्थान की अर्जुन और बलराम ने यात्रा की थी। ___ कथवते ने वस्तुपाल के जीवन और कार्यों का संक्षिप्त रेखाचित्र कीर्तिकौमुदी में और ब्यूलर ने सुकृतसंकीर्तन के विश्लेषणात्मक निबन्ध में प्रस्तुत किया है। हाल ही में कतिपय विद्वानों ने इन मन्त्रिद्वय पर कार्य किये हैं। _प्रबन्धचिन्तामणि, अन्य पुरातन प्रबन्धों एवं गुजराती रासों में स्पष्ट उल्लेख है कि वस्तुपाल-तेजपाल की माता कुमार देवी का आशराज के साथ पुनर्विवाह हुआ था । किन्तु राजशेखर ने प्रबन्धकोश ( १३४९ ई० ) में तथा जिनहर्षगणि ने वस्तुपालचरित ( १४४७ ई० ) में इसका आभास भी नहीं दिया है। प्रतीत होता है कि राजशेखर के समय में पुनर्विवाह सामाजिक दृष्टि से हेय समझा जाने लगा था। लवण प्रसाद और वीरधवल के अनेक संघर्षों से प्रदर्शित होता है कि उनका संघर्ष अधिकतर भीम (द्वितीय ) के पड़ोसी सामन्तों से ही हुआ । दभोई प्रशस्ति ( १२५४ ई० ) से विदित होता है कि वड़वन के समीप शत्रु से लवण प्रसाद का संघर्ष हुआ। वस्तुपाल और शंख ( संग्राम सिंह ) के बीच भयंकर युद्ध हुआ था १. भागवतपुराण, दसवाँ ४५. ३८, ७८. १८, ७९. ९-२१, ८६. २; __ ग्यारहवाँ ६.३५, ३०.६, ३०. १०।। २. दे० सोमेश्वरकृत कीर्तिकौमुदी, बम्बई संस्कृत ग्रन्थमाला, सं० २५, १८८३ ई० तथा अरिसिंह विरचित सुकृतसंकीर्तन, इण्डि० एण्टी०, भाग ३१, १८८९ ई०, पृ० ४७७ व आगे । ३ दे० भोगीलाल ज० साण्डेसरा, मवसा, १९५९; शास्त्री, नेमिचन्द्र : भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मय का अवदान, द्वितीय खण्ड, वाराणसी, १९८३, पृ० १२१-१९३ तथा शास्त्री, कैलाशचन्द्र : जैसाबृ इति, पृ० ४३९। ४. जैसाबृइति, भाग ६, पृ० ४१७ । ५. इपि० इण्डि०, प्रथम, पृ० २६, पद १३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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