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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
वीरधवल के दो पुत्र थे - वीरम और वीसल। राणक ने वीरम को दूरस्थ वीरमग्राम में नियुक्त कर दिया क्योंकि वीसल उनको प्रिय था। जब वीरधवल दिवंगत हुए तब वस्तुपाल ने वीसल को राणकपद राज्यापित कर दिया। वस्तुपाल ने वीरम का वध करा डाला। इसके बाद वीसलदेव निष्कण्टक राज्य करने लगा। एक बार वीसलदेव दोनों मन्त्रियों को तुच्छ समझने लगा। राणक ने उन्हें उपप्रधान बनाकर उनके दिव्य-कोष का अपहरण कर लिया। पर कालान्तर में वीसलदेव ने वस्तुपाल की जो उपेक्षा की थी, उसे सुधारा। ___ तत्पश्चात् विक्रमादित्य से १२९८ वर्ष व्यतीत ( १२४१ ई० ) हो जाने पर वस्तुपाल ज्वर से पीड़ित हो गये और उनका शरीर शान्त हो गया। इसके बाद वस्तुपाल की पत्नी ललितादेवी १३०८ विक्रम वर्ष ( १२५१ ई० ) में तेजपाल, जयन्तसिंह और अनुपमा भी क्रमशः चल बसीं। ___'गुरुमुख श्रृंत' वस्तुपाल और तेजपाल दोनों ने ही अधिक संख्या में धर्मस्थान-निर्माण कराया। उन दोनों मन्त्रियों द्वारा कराये गये निर्माणों, जीर्णोद्धार, धन-व्यय, पूजन, तीर्थयात्राओं आदि के इतिवृत्त उत्तर में केदार पर्वत से लेकर दक्षिण में श्रीपर्वत तक और पश्चिम में प्रभास से लेकर पूर्व में वाराणसी तक सुनायी पड़ते हैं।
वस्तुपाल-प्रबन्ध में उल्लिखित बम्बेरपुर की पहचान बम्बेरा या भम्भेरा प्रदेश में प्राचीन नगर भम्भुरा से की जा सकती है जो कराँची पाकिस्तान में पड़ता था। प्रबन्धकोश की पी प्रति में इसे बिम्बेरपुर भी कहा गया है। उस गाँव में कैडवा कणबी लोगों की बस्ती ज्यादा थी। आज यह लगभग २००-२५० घरों की बस्ती का गाँव है। चौलुक्यों और बाघेलों के समय में यहाँ पर अधिक बस्ती रही होगी। आज यहाँ चार शिव मन्दिर, दो मूर्तियाँ वीर की और एक हनुमानजी की भी हैं, जो भग्न हो रही हैं।
प्रभास तीर्थ काठियावाड़ के दक्षिण समुद्रतट पर अवस्थित है। इसे प्रभास-पाटन या सोमनाथ-पाटन कहते हैं। नहपान (११९-२४
१. रामाफो, द्वितीय खण्ड, पृ० १२. टि० ८। २. प्रको, पृ० ११८ टि० ३ । .
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