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________________ ९६ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन ठक्कुर चण्ड के वंशज थे। इनके पिता का नाम आसराज और माता का कुमारदेवी था। ये चार भाई थे। मालदेव व लूणिग अल्पायु में दिवंगत हो गये । वस्तुपाल की पत्नी ललिता देवी थी और तेजपाल की अनुपमा । गुजरात में चापोत्कट-वंश (७५०-९५६ ई० ) के बाद चालुक्यों ने ( ९६१-१२४१ ई०) शासन किया। इस समय ( लगभग १२४३ई०) धवक्कल में पिता-पुत्र लवण प्रसाद और धवल थे जिन्होंने मन्त्रिद्वय के गुणों का बखान सुनकर उन्हें मन्त्रिपद पर नियुक्त किया। इसके बाद वीरधवल ने वामनस्थली के युद्ध में साले साङ्गण और चामुण्डराज को पराजित किया। वीरधवल को भद्रेश्वर नदी के तटवर्ती द्वारपाल भीमसिंह से लड़ना पड़ा। तीन दिनों तक पञ्चग्राम का युद्ध होता रहा जिसमें वीरधवल का शरीर सैकड़ों घावों से जर्जर हो गया। भीमसिंह ने मन्त्रियों के परामर्श पर बन्दी वीरधवल के साथ उचित व्यवहार कर सन्धि कर ली। महीतट प्रदेश वाले गोधिरा नगर' के घूघुल नामक अवज्ञाकारी मण्डलीक ने वीरधवल को अपमानित करने के लिये एक साड़ी और कज्जल की डिबिया भेजी। तेजपाल ने सेना के साथ योजनाबद्ध तरीके से प्रयाण किया। एक भाग वहीं स्थित किया, दूसरे का स्वयं नेतृत्व किया और तीसरे में सैनिक गतिशीलता गुप्तरूप से क्रियान्वित की। गोधिरा में भगदड़ मच गयी। तेजपाल और घूघुल के द्वन्द्व-युद्ध में घूघुल परास्त हुआ। बन्दी घूघुल को उसकी साड़ी और कज्जल की डिबिया प्रत्यर्पित कर दी गई। लज्जा के वशीभूत घूघुल का दुःखद अन्त हुआ। १. दे० प्रको पृ० १०७; पुप्रस पृ० ६९; खरतर ( गोधा ) पृ० ८७ आधु निक गोधरा (पंच महाल ) बड़ौदा से लगभग ६० कि०मी० उत्तरपूर्व में है। इस नगर का प्राचीन नाम गोधिरा या गोध्रा था जो गुजरात के महीतट प्रदेश में स्थित था और जहाँ वीरधवल का सामन्त घूघुल था। दे० रामाफो तृतीय खण्ड, पृ० १२७, पृ० १३५, पृ० १५८; चागु, पृ० १५१, पृ० १५६; फाहिनाइजैसो, पृ० ३०५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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