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________________ ऐतिहासिक तथ्य और उनका मूल्यांकन (क्रमशः ) [ ९१ देश और काल की दृष्टि से इब्नबतूता वाला 'रतन' प्रबन्धकोश का रत्नश्रावक नहीं हो सकता है । राजतरंगिणी में 'रत्न' नामक दो व्यक्तियों के दो स्थलों पर उल्लेख आते हैं ।" एक रत्न नामक मन्त्री था तथा दूसरा 'रत्न' नामक एक सामान्य श्रावक था । मन्त्री रत्न राजा उत्पलापीड़ ( ८५५-५६ ई० ) का सान्धिविग्रहिक था । उस समय भी उसने विष्णु मन्दिर का निर्माण कराया था जो 'रत्नस्वामि' मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ । अतः कल्हण द्वारा उल्लिखित मन्त्री रत्न वैष्णव था । राजशेखर ने जिस रत्नश्रावक का वर्णन किया है वह मन्त्री नहीं अपितु सुस्सल ( १११२ - २८ ई० ) के शासनकाल का एक सामान्य श्रावक था । रत्न जैसे विश्रुत व्यक्तियों ने भिक्षाचर ( हर्ष के पौत्र ) का पक्ष लिया । यह तर्क दिया जा सकता है कि राजशेखरसूरि का रत्नश्रावक उत्पलापीड़ का मन्त्री रत्न था क्योंकि प्रबन्धकार ने अन्तिम प्रबन्ध में जिन दो श्रावकों का वर्णन किया है, वे भी मन्त्री रहे हैं । परन्तु यह समीकरण उचित नहीं प्रतीत होता है । एक तो उत्पलापीड़ का मन्त्री रत्न वैष्णव था और दूसरे उसका वर्णन चतुर्थ तरंग में आया है जिसके तिथि क्रम उतने विश्वसनीय नहीं हैं जितने अष्टम तरंग के तिथि क्रम । परवर्ती घटनाओं के वर्णन में ऐतिहासिक सत्य अधिक हैं | अतः प्रबन्धकोश का रत्न श्रावक सुस्सल ( १११२-२८ ई० ) कालीन सामान्य वर्ग का श्रावक था जिसका वर्णन कल्हण आठवीं तरङ्ग में करता है । बहुत सम्भव है कि कश्मीर निवासी यह रत्न शुरू में शैव रहा हो जो उस प्रदेश का बहु- प्रचलित धर्म था । प्रबन्धकोश के वर्णन से ज्ञात होता है कि रत्न को शंकर प्रत्यक्ष हुए जिन्होंने कालपुरुष से रत्न श्रावक की रक्षा कर उसका आलिंगन किया और तदुपरान्त उसे जैन संघ में भेज दिया । फलतः वह प्रभावित हुआ । कालान्तर में रत्नश्रावक की तीर्थयात्रा उसकी जैनधर्म में आस्था का प्रतीक बन जाती है | १. राजतरंगिणी, चतुर्थ तरङ्ग, पद ७११, पृ० १८४ तथा अष्टम तरङ्ग, पद १०७९, पृ० ८५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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