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प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन
सत्रह रानियों ने आत्मदाह कर लिया । कदाचित् कुछ रानियाँ बच गईं जिनमें से बिज्जलादेवी एक रही हों और उससे हर्ष के उत्तराधिकारी उच्चल ने विवाह किया हो । उच्चल की मृत्यु पर उसकी रानियाँ अपने को अग्नि में उत्सर्ग कर रही थीं । चालाक रानी जयमती जीवित रहना चाहती थी परन्तु भाग्य की सतायी बिज्जला उसके सामने आ गई और चिता पर चढ़ गई । यही बिज्जलादेवी विजयादेवी हो सकती हैं ।
प्रबन्धकोश में एक आश्चर्यजनक उल्लेख है कि नेमि निर्वाण के आठ हजार वर्ष बाद कश्मीर के नवहुल्लनगर ( नौशहरा ) में राजा नवहंस ( हर्ष ) हुआ । यह कालक्रम की दृष्टि से सही नहीं है । प्रबन्धकार को केवल यह कहना अभीष्ट था कि नेमि - निर्वाण के हजारों वर्ष बाद राजा नवहंस हुआ । नेमिनाथ ( अरिष्टनेमि ) महाभारत - कालीन कृष्ण के चचेरे भाई और यदुवंशी थे । महाभारत काल लगभग १५०० ई० पू० से १००० ई० पू० के बीच माना जाता है । इसलिए ऐतिहासिक दृष्टि से यही काल २२वें तीर्थंङ्कर नेमि का मानना उचित प्रतीत होता है । वस्तुतः कश्मीर का राजा नवहंस ( हर्ष ) नेमिनिर्वाण के प्रायः २१०० वर्ष बाद हुआ था । इसी तरह प्रबन्धकोश में कूष्माण्डी देवी और कालपुरुष के विवरण चमत्कारिक हैं जो सामान्य जैन श्रावकों में जैनधर्म का प्रभाव दर्शाने के लिये किए गये हैं ।
रत्नश्रावक श्रेष्ठ पूर्णचन्द्र का पुत्र और राजा सुस्सल ( १११२२८ ई० ) का समकालीन था । राजशेखर सूरि तथा मुहम्मद तुगलक के समकालीन इतिहासकार अरबी यात्री इब्नबतूता ( १३०४-७८ ई० ) ने रतन नामक एक हिन्दू का उल्लेख किया है, जो सुल्तान की सेवा में था । यात्री ने आर्थिक विषयों में इसकी बुद्धि की प्रशंसा की है । "
१. राजतरंगिणी, सातवीं तरङ्ग, श्लोक १५७९, पृ० ३९० ।
२. वही, आठवीं तरङ्गः श्लोक २८७, पृ० २५ ।
३. वही, श्लो० ३०६ तथा ३६७, पृ० २६ तथा पृ० ३१ ।
४. ली, रेवरेण्ड सैमुएल : ट्रेवेल्स ऑफ इब्नबतूता, लन्दन, १८२९; ईश्वरी प्रसाद, पृ० २७५ टि०; इब्नबतूता की संक्षित जीवनी के लिए दे० ईश्वरी प्रसाद, पृ० २८७ - २८९ ।
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