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________________ प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन नागार्जुन का इतिवृत्त पाँचवें और अट्ठारहवें दो भिन्न-भिन्न प्रबन्धों में गूंथा है क्योंकि वह यह प्रमाणित करना चाहता है कि नागार्जुन पादलिप्त का शिष्य होते हुए भी सूरि-वर्ग में स्थान नहीं रखता है अपितु उसका वर्णन राज-वर्ग में ही अपेक्षित है। अतएव इतिहास-लेखन-शैली में उसने यह नवीनता स्फुरित की है कि एक ही व्यक्ति का इतिवृत्त दो भिन्न स्थलों पर भी उपर्युक्त रीति से लिखा जा सकता है और उसमें कालक्रमीय एकरूपता बनी रह सकती है। १९. वत्सराजोक्यन प्रबन्ध उदयन के पिता का नाम शतानीक (द्वितीय) और माता का नाम मृगावती था। वत्स-जनपद के कौशाम्बी नगर में शतानीक राजा था जिसका पुत्र और उत्तराधिकारी उदयन था। उसका समकालीन उज्जयिनी का राजा चण्डप्रद्योत था। क्रौञ्चहरण नगर' में नागराज वासुकि' की दिव्यरूपा युवापुत्री वसुदत्ति रहती थी। वासुकि ने वत्सराज-वसुदत्ति का विवाह सम्पन्न करा दिया । अब उदयन कौशाम्बी में पुनः शासन करने लगा। ___ उसने क्रमशः उज्जयिनी नरेश चण्डप्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता से तथा डाहल राजकुमारी पद्मावती से विवाह किया। अन्त में, राजशेखर स्वीकार करता है कि उसका यह वृत्तान्त जैनसम्मत नहीं है, क्योंकि नाग-जाति के साथ मानव का विवाह होना असम्भव है। उसके अनुसार यह वृत्तान्त नागमत से उद्धृत है। १. प्रको, पृ० ८६; वितीक ( क्रोंचद्वीप ) पृ० ८५; गौड़ लेखमाला ( प्रथम, पृ० ९ व आगे ) में एक क्रौञ्चश्वभ्र ग्राम का उल्लेख आता है। यह पुण्ड्रवर्धनभुक्ति ( उत्तरी बंगाल ) में स्थित था ( इपि० इण्डि०, चतुर्थ, पृ० २४३ व आगे ); हिज्योलॉ, पृ० २७३ । , प्रको, पृ० १४, ४८, ८६; प्रचि, पृ० ११९, १२०; पुप्रस, पृ० ९१; वितीक ( वासुई/वासुगी) १० १७, ५२, १०४ । वासुकि नाग कश्यप एवं कद्र की सन्तान थे। ये सर्प तथा मानवाकृति मिश्रित रूप के थे। आठ प्रमुख सर्प अष्टकुली कहलाते हैं -अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख तथा कुलिक । दे० हिसाको, भाग २, पृ० २७४ । ३. पद्मपुराण के पातालखण्ड में.नागलोक का वर्णन है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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