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________________ आध्यात्मिक विकास की भूमियाँ २६३ बन्धनों या संयोजनों के नष्ट हो जाने के कारण उसके समस्त क्लेशों या दुःखों का प्रहनन हो जाता है और वह कृतार्थ हो जाता है अर्थात् उसे कुछ भी करणीय नहीं रहता, फलतः वह संघ की सेवा के लिए क्रियाएँ करता है । ९५ उपर्युक्त चार भूमियों के अतिरिक्त मिलिन्दपञ्ह में चित्त की अवस्थाओं का वर्णन करते हुए चित्त की सात भूमियों का वर्णन किया गया है। जिनमें चार तो उपर्युक्त ही है। शेष तीन इस प्रकार है- संक्लेशचित्तभूमि, प्रत्येकबुद्धभूमि और सम्यक्सम्बुद्ध भूमि । १६ संक्लेशचित्तभूमि यह भूमि अज्ञान की भूमि है, क्योंकि इस भूमि में साधक राग, द्वेष, मोह एवं क्लेश से युक्त होता है। राग, द्वेष, मोह और क्लेश व्यक्ति को बन्धन में डालने में प्रमुख कारण बनते हैं, क्योंकि इनके कारण ही व्यक्ति अपने स्व-स्वरूप को भूल जाता है। वह सांसारिक विषय-वासनाओं को ही अपना सुख एवं वैभव मानता है। इस प्रकार वह अपनी तृष्णा को बढ़ाता रहता है। तृष्णा अज्ञानतावश ही होती है और व्यक्ति जितना अधिक इसमें रमता जाता है वह सांसारिक बन्धनों में बँधता जाता है। यही कारण है कि भगवान् बुद्ध व्यक्ति से संक्लेशभूमि रूपी अज्ञान को बुद्धत्व के प्रकाश से नष्ट करने को कहते हैं। प्रत्येकबुद्धभूमि स्फूर्ति से जिसके सब तत्त्व परिस्फुरित हो जाते हैं, जिसे तत्त्वशिक्षा के लिए किसी भी गुरु के परतन्त्र नहीं होना पड़ता, वही प्रत्येकबुद्ध नाम से अभिहित किया जाता हैं।९७ इस भूमि में साधक स्वयं अपना स्वामी होता है । प्रत्येकबुद्ध का पद अर्हत् और बोधिसत्व के बीच का होता है । ९८ यह अवस्था सम्यक् सम्बोधि- परमज्ञान से निम्न कोटि की मानी जाती है। सम्यक्सम्बुद्धभूमि सम्यक् सम्बुद्ध का अर्थ होता है - परमज्ञानी । दीघनिकाय में कहा गया है कि इस भूमि में साधक अर्हत् सम्यक् - सम्बुद्ध (परमज्ञानी), विद्या आचरण से युक्त, सुगत, लोकविद्, पुरुषों के दमन करने में अनुपम चाबुक - सवार, देवताओं और मनुष्यों के उपदेशक बुद्ध (ज्ञानी) भगवान् हैं । ९९ यह सर्वज्ञता की स्थिति होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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