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________________ २२४ जैन एवं बौद्ध योग : एक तुलनात्मक अध्ययन तुलना ध्यान सम्बन्धी अवधारणा के अध्ययन के पश्चात् जैन एवं बौद्ध परम्पराओं में जो समानताएँ एवं विभिन्नताएँ देखने को मिली हैं, उन्हें निम्न रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है १. दोनों ही परम्पराओं में चित्त के एकाग्रीकरण को ध्यान की संज्ञा से विभूषित किया गया है। २. जैन एवं बौद्ध दोनों ने ही ध्यान को मोक्षप्राप्ति का एक साधन माना है। यदि यह कहा जाए कि ध्यान जैन एवं बौद्ध योग-साधना का मूल आधार है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ३. जहाँ तक ध्यान के भेद-भेदाङ्गों की बात है तो दोनों ही परम्पराओं में आचार्यों में मतभेद रहा है। जैन परम्परा के किसी ग्रन्थ में ध्यान के दो प्रकार मिलते हैं तो किसी में चौबीस, ऐसे ही बौद्ध परम्परा के किसी ग्रन्थ में ध्यान के चार प्रकार हैं तो किसी में पाँच। इन विभिन्नताओं का कारण आचार्यों का अपना दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन सही अर्थों में देखा जाए तो दोनों ही परम्पराओं में ध्यान के मुखयत: दो ही भेद हैं- जैन परम्परा के अनुसार प्रशस्त और अप्रशस्त तो बौद्ध परम्परा के अनुसार रूपावचर तथा अरूपावचर। ४. जैन एवं बौद्ध दोनों ही परम्पराओं में ध्यान की व्याख्या सूक्ष्म से सूक्ष्मतर की गयी है, लेकिन जैन परम्परा में जो ध्यान के भेदाङ्ग बताये गये हैं उनमें कुछ एक बौद्ध परम्परा में देखने को नहीं मिलते। यथा-जैन परम्परा में ध्यान के प्रकारों में आर्तध्यान एवं रौद्रध्यान की चर्चा की गयी है, इसी प्रकार ध्येय की अपेक्षा से ध्यान के पिण्डस्थ आदि चार प्रकार बताये गये हैं। बौद्ध-परम्परा में इन सब ध्यानों का अभाव-सा प्रतीत होता है। । परन्तु जैन परम्परा के धर्मध्यान एवं शक्लध्यान के भेद-प्रभेदों तथा बौद्ध परम्परा के रूपावचर के भेद-प्रभेदों में समानता देखने को मिलती है। जिस प्रकार धर्म ध्यान आत्म-विकास की प्रथम अवस्था है, उसी प्रकार बौद्ध-परम्परा में भी रूपावचर ध्यान की प्रथमावस्था है। जहाँ तक बौद्ध परम्परा के अरूपावचर ध्यान का प्रश्न है तो उसकी तुलना जैन परम्परा के रूपातीत ध्यान से की जा सकती है, क्योंकि दोनों पद्धतियों में ही रूप से अतीत होकर निराकार का ध्यान किया जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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