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________________ १५४ जैन एवं बौद्ध योग : एक तुलनात्मक अध्ययन (१) संयुक्ताधिकरण- जिन उपकरणों के संयोग से हिंसा की संभावनायें बढ़ जाती हैं उन्हें संयुक्त रखना संयुक्ताधिकरण अतिचार है। (२) उपभोगपरिभोगातिरिक्त - आवश्यकता से अधिक उपभोग एवं परिभोग की सामग्री संग्रह रखना उपभोगपरिभोगातिरिक्त अतिचार है। (३) मौखर्य-असम्बद्ध एवं अनावश्यक वचन बोलना मौखर्य है। (४) कौरकुच्य-विकारवर्धक चेष्टाएँ करना या देखना कौरकुच्य है। (५) कन्दर्प- विकारवर्धक वचन बोलना या सुनना कन्दर्प है। ये सब निरर्थक हिंसा के पोषक हैं, अत: श्रावक को इनसे बचना चाहिए। (३) भोगोपभोग परिमाण एक बार भोगने योग्य आहार आदि भोग कहलाते हैं और जिन्हें बार-बार भोगा जा सके, ऐसे वस्त्र-पात्र आदि परिभोग या उपभोग कहलाते हैं। इन पदार्थों को काम में ताने की मर्यादा बाँध लेना उपभोग-परिभोग परिमाण है। भोग-उपभोग (परिभोग) सम्बन्धी वस्तुओं के २६ प्रकार बताये गये हैं, जो इस प्रकार हैं-७० १. अंगोछा २. मंजन ३. फल ४. मालिश का तेल ५. उबटन ६. जल ७. पहनने के वस्त्र ८. विलेपन के लिए चन्दन ९. फूल १०. आभरण ११. धूप-दीप १२. पेय १३. पक्वान्न १४. ओदन १५. सूप (दाल) १६. घृत १७. शाक १८. माधुरक (मेवा) १९. जेमन २०. पीने का पानी २१. मुखवास २२. वाहन २३. जूता २४. शय्यासन २५. सचित्त वस्तु तथा २६. खाने के अन्य पदार्थ। भोगोपभोगपरिमाण के भी पाँच अतिचार बताये गये हैं-७१ १. सचित्ताहार-जैसे हरी सब्जी का आहार लेना, २. सचित्तबद्धाहारसचित्त वस्तु से संसक्त अचित्त वस्तु, जैसे गुठली सहित आम का उपयोग, ३. अपक्वाहार- बिना पके हुए आहार ग्रहण, ४. दुष्पक्वाहार- सुरा, मदिरा आदि का सेवन ५. तुच्छौषधिभक्षण- जो वस्तु खाने में कम फेंकने में अधिक जाये । शिक्षाव्रत जिस प्रकार विद्यार्थी पुन:-पुन: विद्या का अभ्यास करता है, ठीक उसी प्रकार श्रावक को कुछ व्रतों का अभ्यास करना पड़ता है। बार-बार यही अभ्यास शिक्षाव्रत कहलाता है। अणुव्रत और गुणव्रत जीवन भर के लिए ग्रहण किया जाता है, जबकि शिक्षाव्रत कुछ समय के लिए। शिक्षाव्रत के मुख्यत: चार भेद हैं- (१) सामायिक (२) प्रोषधोपवास (३) देशावकाशिक तथा (४) अतिथिसंविभाग२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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