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________________ १२२ जैन एवं बौद्ध योग : एक तुलनात्मक अध्ययन साथ रहना सत्ता है। ३. उदय- कर्म की वह अवस्था जब वह अपना फल देता है, उदय है। ४. उदीरणा- नियत समय से पहले कर्मफल देना उदीरणा है। उद्वर्तना- कषायों की तीव्रता या मन्दता के कारण उसके फल में वृद्धि हो जाना उद्वर्तना है। यह उत्कर्षण की स्थिति है। ६. अपवर्तना- यह अवस्था उद्वर्तना के विपरीत है। स्थिति विशेष के कारण कर्मफल अपवर्तना कहलाती है। यह अपकर्षण की स्थिति है। संक्रमण-एक प्रकार के कर्म-पुद्गलों की स्थिति का सजातीय दूसरे प्रकार के कर्म-पुद्गलों की स्थिति में परिवर्तित हो जाना संक्रमण है। उपशमन-कर्म की वह अवस्था जिसमें उदय तथा उदीरणा संभव नहीं होती, उपशमन है। उपशमन में कर्म दबा हुआ रहता है। ९. निधत्ति- इस अवस्था में यद्यपि उद्वर्तना या अपवर्तना की असंभावना नहीं रहती, फिर भी उदीरणा और संक्रमण का अभाव रहता है। १०. निकाचन- कर्म जिस रूप में बन्ध हुआ उसी रूप में उसे अनिवार्य रूप से भोगना निकाचन कहलाता है। कर्मबन्ध का छूटना कर्मबन्धन जीव द्वारा किये गये प्रयास से छूट भी जाता है। इसके लिए जैन दर्शन में रत्नत्रय-- सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान तथा सम्यक्-चारित्र का प्रतिपादन किया गया है जिनकी चर्चा पूर्व के अध्याय में की गयी है। इनके पालन करने से जीव कर्मों का क्षय करता है और मोक्ष की उपलब्धि करता है। कर्मबन्ध की दो स्थितियाँ हैं-आस्रव तथा बन्ध। कर्म-पुद्गलों का जीव के पास आना आस्रव है तथा जीव को प्रभावित कर देना बन्धन है। किन्तु इसके बाद की दो स्थितियाँ मोक्ष से सम्बन्धित हैं, वे हैं- संवर और निर्जरा। जीव में आते हुए नए कर्मों को रोकना संवर है और आये हुए कर्मों को भोगकर समाप्त करना अर्थात् क्षय करना निर्जरा है। जीव इस अवस्था में कैवल्य प्राप्त करके सर्वज्ञ हो जाता है, जो जीवन्मुक्ति की अवस्था है। इस अवस्था में कुछ कर्म रह जाते हैं जिनके कारण जीव का शरीर उसके साथ रहता है। जब शरीर भी नष्ट हो जाता है तब जीव विदेहमुक्त या पूर्ण मुक्त हो जाता है। उसका कर्म से सम्बन्ध सदा-सदा के लिए छूट जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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