SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका शुक दूतम् 'श्री यादवेन्द्र' प्रणीत इस दूत काव्य का उल्लेख 'जैन सिद्धान्त भा० ' ( भाग २, किरण २, पृ० ६४ ) में हुआ है । [ २९ शुकसन्देश इस नाम से उपलब्ध सन्देशकाव्यों में से 'लक्ष्मण दास' रचित 'शुकसन्देश' ( प्रकाशित ) पूर्वं तथा उत्तर सन्देश के रूप में दो भागों में विभक्त है । जिसमें कुल पद्यों की संख्या ७४ एवं ८९ है तथा कथावस्तु की योजना एक ऐसे प्रेमी की है, जो स्वप्नावस्था में ही शुक को दूत बनाकर अपना सन्देश अपनी प्रिया के पास भेजता है । यह कृति मंगलोदयं प्रेस, तंजौर से प्रकाशित है । दाक्षिणात्य कवि 'करिगंमपल्लि नम्बूदरी' प्रणीत 'शुकसन्देश' का उल्लेख 'हस्तलिखित संस्कृत ग्रन्थों की सूची' श्री गुस्तोव आपर्ट संकलित ( ग्रन्थाङ्क २७२१ और ६२४१ ) में तथा 'रंगाचार्य' रचित 'शुकसन्देश' का उल्लेख 'संस्कृत के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची', बंगलोर ( श्री लेविस राइस संकलित ग्रन्थाङ्क २२५० ) में और वेदान्तदेशिक के पुत्र 'श्री वरदाचार्य' की कृति 'शुकसन्देश' का उल्लेख 'राम कुमार आचार्य' लिखित 'संस्कृत के सन्देशकाव्य' (परिशिष्ट २ ) में हुआ है । ये तीनों कृतियाँ सम्प्रति अप्रकाशित हैं । सिद्धदूतम् 'कालिदास ' प्रणीत 'मेघदूत' की समस्यापूर्ति पर लिखे गए ग्रन्थ 'सिद्धदूत' के प्रणेता अवधूत 'राम योगी' हैं । इसका प्रकाशन १९१७ में पाटन हुआ है। सुभगसन्देश १३० पद्यों वाला 'सुभगसन्देश' ( १५४१-१५४७ ई० ) 'राजा राम वर्मा' के सभा-कवि 'नारायण' की कृति है । इस सन्देशकाव्य का उल्लेख 'जर्नल आफ रॉयल एशियाटिक सोसायटी' ( पृ० ४४९ ) में किया गया है । सुरभि सन्देश Jain Education International 'संस्कृत के सन्देशकाव्य' ( राम कुमार आचार्य, परिशिष्ट २ ) के अनुसार यह कृति तिरुपति के आधुनिक कवि 'श्री वीरवल्लि विजयराघवाचार्य' की है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002117
Book TitleNemidutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVikram Kavi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy