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________________ १६ ] नेमिदूतम् कृष्ण का दूत रूप में चित्रण किया गया है । गरसम्म 'कृष्णमाचारि' कृत 'संस्कृत साहित्य का इतिहास' में इस काम्य के कर्ता का नाम कवि वल्लंकोड रामराय बताया गया है तथा अन्य अप्रकाशित है। गरुड़सन्देश कवि नृसिंहाचार्य कृत इस काव्य का नामोल्लेख राम कुमार आचार्य कृत 'संस्कृत के सन्देशकाव्य' (परिशिष्ट २) में किया गया है। शेष अज्ञान का विषय बना हुआ है। गोपीयूतम् इस काव्य का नामकरण दूत-सम्प्रेषण की ( गोपी ) के आधार पर किया गया है। कृष्ण के मथुरा जाते समय कृष्ण का अनुगमन करती हुई निष्फल हो गई गोपियों द्वारा कृष्ण के रथ-चक्र से उड़ाई गई धूलिकण के माध्यम से अपना, सन्देश कृष्ण तक पहुँचाना इस काव्य का वर्ण्य-विषय है। यहाँ ध्यातव्य है कि यह काव्य कुछ ही अंशों में उपलब्ध है, जो सम्प्रति अप्रकाशित है ( 'काम्य-संग्रह', जीवानन्द विद्यासागर, पृ० ५०७-५३०) । कवि का नाम लम्बोर वैद्य है। घटकपर इसके रचयिता का नाम पूर्व में जो भी रहा हो, किन्तु काव्य के वर्गाविषय के आधार पर ही अर्थात, इस कृति से अच्छी रचना यदि कोई कर दे तो मैं ( कवि ) घट - घड़ा, कर्पर - घड़े का सबसे ऊपरी भाग जिसे कान भी कहा जा सकता है उसके टुकड़े में पानी भरकर ला दूंगा, अक्षरशः सत्य है। और इसी आधार पर कवि का वास्तविक नाम लुप्त होकर उनका ( कवि का ) नाम ही 'घटकपर' हो गया। घटकर कवि जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है कालिदास के समकालीन थे। इस काव्य में कुल पद्यों की संख्या २३ है। घनत्तम् दाक्षिणात्य कवि कोरद रामचन्द्रन कृत 'धनवृत्त' की कमावस्तु कालिदास कृत 'मेघदूत' के उत्तर मेघ से ली गई है । दाक्षिणात्य कवि होने के कारण इस काव्य का उपलब्ध संस्करण तेलुगू लिपि में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org -
SR No.002117
Book TitleNemidutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVikram Kavi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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