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________________ नेमिदूतम् [ ७५ मानप्रांशुम् - - अत्यन्त ऊँचे, शिखरनिव है: - गृह के अग्रभागों से, व्योममार्गम्आकाश मार्ग को, स्पृशन्तः - स्पर्श करता हुआ, छूता हुआ, गौरज्योत्स्नाविमलयशसम् - शुभ्र कौमुदी के समान विमल यश का, सुधाभिः — लेप से, शुभ्रभासः -- श्वेतकान्ति वाला, प्रासादाः - भवन समूह, तैस्तैर्विशेषः - पूर्वोक्त उन-उन विशेषताओं से त्वाम् —तुमसे, तुलयितुम् - समानता करने में, अलम् - समर्थ हैं । • अर्थः - ( हे नाथ ! ) जिस ( द्वारिका ) में चमकते हुए रत्नदीपों से निरन्तर स्निन्ध अपने शरीर तेज से अत्यन्त ऊँचे गृहों के अग्रभागों से आकाशमार्ग का स्पर्श करता हुआ शुभ्रकौमुदी के समान विमलयश के लेप से श्वेतकान्ति बाला भवन समूह ( पूर्वोक्त ) उन-उन विशेषताओं के द्वारा तुम ( नेमि ) से तुलना करने में समर्थ है । यामुद्दामा खिलसुररिपुन्माथितो दानवारेः, साहाय्याय प्रथितमहसोऽध्यासते योधवर्गः । नानादैत्यप्रहरणभवैः संगरेषु स्वकीर्त्या, प्रत्यादिष्टाभरणरुचयश्चन्द्रहासव्रणाङ्कः ॥ ६६ ॥ अन्वयः ―――― - याम्, उद्दामाखिलसुररिपून्, माथिनः, दानवारे:, साहाय्याय प्रथितमहसः, योधवर्ग:, अध्यासते, संगरेषु, नानादैत्यप्रहरणभवैः, चन्द्रहासव्रणाङ्कः, आभरणरुचयः, स्वकीर्त्या, प्रत्यादिष्टाः । यामुद्दामखिति । यामुद्दामखिलसुररिपुन्माथिन: हे नाथ ! द्वारिकामुन्मत्तसकलदेवशत्रु संहारकः । दानवारे: साहाय्याय प्रथितमहसः कृष्णस्य साहाय्यार्थ प्रख्याततेजसः । योधवर्गः अध्यासते शूरसमूहः अधितिष्ठति । संगरेषु नानादैत्यप्रहरणभवः युद्धेषु ये विविधासुरप्रतिघातोत्पन्नैः । चन्द्रहासव्रणाङ्कः आभरणरुचयः असिकिणाङ्क : आभरणानां रुक् - कान्तिर्यैस्ते । स्वप्रत्यादिष्टा स्वयशसा सूचयन्ति ॥ ६९ ॥ शब्दार्थः याम् — द्वारिका में, उद्दामाखिल सुररिषून्माथिनः - मदमत्त समस्त देव शत्रुओं को मथने वाले, दानवारे:- कृष्ण की, साहाय्याय - सहायता के लिए, प्रथितमहसः - विख्यात तेज वाले, योधवर्ग:- योद्धा - गण, अध्यासते-रहते हैं, ( जो ) संगरेषु - रण में, नाना दैत्यप्रहरणभवः - अनेक प्रकार के दैत्यों के प्रहार से उत्पन्न, चन्द्रहासव्रणाङ्क : – तलवार के घाव से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002117
Book TitleNemidutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVikram Kavi
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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