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प्राय सा है, इन अस्पष्ट गाथाओं की व्याख्याएँ प्रस्तुत कर देना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है और यही इस अनुवाद की विशिष्टता है।
हम पं० विश्वनाथ पाठक के अत्यन्त आभारी हैं जिन्होंने संस्थान के अपने सीमित कार्यकाल में इन दुरूह गाथाओं का बोधगम्य अर्थ स्पष्ट करके यह कृति हमें प्रकाशनार्थ दी।
विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन, शोधाधिकारी डा० अशोक कुमार सिंह एवं डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने प्रस्तुत कृति के प्रकाशन सम्बन्धी सारी व्यवस्थाओं को सम्पन्न किया, एतदर्थ हम उनके आभारी हैं।
ग्रन्थ के प्रूफरीडिंग का कार्य श्री असीम कुमार मिश्र एवं डॉ० जयकृष्ण त्रिपाठी ने सम्पन्न किया एतदर्थ वे दोनों धन्यवाद के पात्र हैं ।
ग्रन्थ के सजीव मुद्रण कार्य हेतु वर्द्धमान मुद्रणालय के श्री राजू भाई भी धन्यवाद के पात्र हैं।
भवदीय भूपेन्द्रनाथ जैन
मंत्री
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