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________________ जैन देवकुल : ३७ स्पष्टता के साथ गाथाओं में निबद्ध किया ।२८ पउमचरिय के अन्त में यह भी उल्लेख है कि पूर्वग्रन्थों में आये हुये नारायण तथा हलधर के चरितों को सुनकर ही विमलसूरि ने राघव-चरित की रचना की। कई स्थलों पर राम को पद्म, हलधर, हलायुध तथा लक्ष्मण को नारायण, चक्रधर तथा चक्रपाणि विशेषणों या नामों से भी अभिहित किया गया है।३० 'कृष्ण-बलराम : कुछ प्रारम्भिक उल्लेखों से यह स्पष्ट है कि ई० सन् के पूर्व ही कृष्ण-बलराम को जैन देवकूल में सम्मिलित कर लिया गया था।' उत्तराध्ययनसूत्र (ल० चौथी-तीसरी शती ई० पू० )३२ के रथनेमि शीर्षक २२वें अध्याय में कृष्ण से सम्बन्धित कुछ उल्लेख हैं।33 उत्तराध्ययनसूत्र के विवरण को ही कालान्तर में, ७वीं शती ई० के बाद जैन ग्रन्थों (हरिवंशपुराण, महापुराण ( पुष्पदन्तकृत )), त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में विस्तार के साथ प्रस्तुत किया गया ।३४ नायाधम्मकहाओ एवं अन्तगड्दसाओ में भी कृष्ण से सम्बन्धित उल्लेख है।३५ पौराणिक दृष्टि से राम के पूर्ववर्ती होने के बाद भी जैन परम्परा में राम की अपेक्षा कृष्ण के उल्लेख प्राचीन हैं। उत्तराध्ययनसूत्र, अन्तकृतदशाः एवं ज्ञाताधर्मकथांग जैसे प्रारम्भिक आगम ग्रन्थों में वासुदेव से सन्दभित विभिन्न प्रसंग वर्णित हैं ।३६ लक्ष्मो : कल्पसूत्र में लक्ष्मी का उल्लेख जिनों की माताओं द्वारा देखे गए शुभ स्वप्नों के उल्लेख के सन्दर्भ में आया है। लक्ष्मी को दो गजों से अभिषिक्त, पद्मासीन तथा दोनों हाथों में पद्मधारिणी निरूपित किया गया है ।३७ पउमचरिय में एक स्थल पर श्री, ह्री, धृति, कीर्ति तथा बुद्धि आदि देवियों के साथ लक्ष्मी का उल्लेख हुआ है।३८ सरस्वती: प्रारम्भिक जैन ग्रन्थों में सरस्वती का उल्लेख मेधा या बुद्धि के देवता या श्रु त देवता के रूप में प्राप्त होता है।३९ भगवतीसूत्र तथा पउमचरिय१ में बुद्धि देवी का उल्लेख श्री, ह्री, धृति, कीर्ति और लक्ष्मी के साथ किया गया है। अंगविज्जा में भी सरस्वती का उल्लेख मेधा एवं बुद्धि के देवता के रूप में है।४२ जिनों की शिक्षाएँ जिनवाणी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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