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________________ स्थानविचार : जिनसेन व गुणभद्र कहाँ के रहने वाले थे यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसका उल्लेख उनके किसी भी प्रशस्ति में नहीं मिलता है । किन्तु इनसे सम्बद्ध तथा इनके निज के ग्रन्थों में बंकापुर ( धारवाड़, कर्नाटक ), वाटग्राम ( बड़ौदा, गुजरात) तथा चित्रकूट का उल्लेख आता है जिससे यह अनुमान किया जा सकता है कि ये सम्भवतः कर्नाटक प्रान्त के रहने वाले थे । ४८ बंकापुर उस समय वनवास देश की राजधानी थी जो वर्तमान में कर्नाटक के धारवाड़ जिले में स्थित है । नाथूराम प्रेमी के अनुसार वीरसेन और जिनसेन का विहारक्षेत्र कर्नाटक प्रान्त ही रहा होगा और इसी क्षेत्र में आदिपुराण की रचना हुई होगी। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि महापुराण का पूजा महोत्सव बकापुर में किया गया था । ४९ चित्रकूट के सम्बन्ध में नाथूराम प्रेमी का कहना है कि सिद्धान्त ग्रन्थों का अध्ययन करने लिये एलाचार्य के पास जिस चित्रकूट में वीरसेन गये थे वह संभवतः वर्तमान चित्तौड़ काही संस्कृत रूप है । अमोघवर्ष के पिता गोविन्द तृतीय ने गुजरात व मालवा के साथ-साथ चित्रकूट को भी जीता था और उस समय यह अमोघवर्ष के ही राज्य में था । ५० प्रस्तावना : १९ गुलाबचन्द चौधरी के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष प्रथम जिनसेन का अनन्य भक्त था जिसका शासनकाल लगभग ८१४ से ८७८ ई० के मध्य माना जा सकता है । अमोघवर्ष का राज्य उस समय केरल से लेकर गुजरात, मालवा तथा चित्रकूट तक फैला था। जिनसेन का सम्बन्ध चित्रकूट आदि स्थलों के साथ होने तथा अमोघवर्ष द्वारा सम्मानित होने से उनके जन्म स्थान का अनुमान महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमावर्ती प्रदेश में लगाना उचित प्रतीत होता है । ५१ पन्नालाल जैन ने भी आदिपुराण की प्रस्तावना में इस बात का उल्लेख किया है कि राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष की राजधानी मान्यखेट थी जो उस समय कर्नाटक तथा महाराष्ट्र दोनों की राजधानी थी । अमोघवर्ष जिनसेन का अनन्य भक्त था, अतः उनका अमोघवर्ष की राजधानी में आना-जाना सम्भव था । किन्तु वहाँ पर जिनसेन के निवास आदि का कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता । १२ काल विचार : हरिवंशपुराण की रचना के समय आदिपुराण के कर्त्ता जिनसेन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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