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________________ जैनधर्म की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : ५१ "हरिवंश पुराण" की प्रति तैयार की गई थी । १५९१ ई० में खण्डेलवाल जाति के थानसिंह ने बिहार में पावापुरी में " षोडशकारण यंत्र" का स्थापना समारोह सम्पन्न करवाया था । सांगानेर की दादाबाड़ी में जिनकुशल सूरि की पादुका के १५९९ ई० के अभिलेख में मानसिंह के विजयराज्य में व महामंत्री कर्मचन्द्र के काल में खरतरगच्छ के युगप्रधान जिनचन्द्र सूरि के विजय राज्य में, जिनकुशल सूरि की पादुका सर्व संघ के कल्याणार्थं स्थापित करने का उल्लेख है । 3 अकबर के काल में बैराठ में १५८७ ई० में श्रीमाल इन्द्रराज के द्वारा पार्श्वनाथ मन्दिर निर्मित करवाने का उल्लेख है । विमलनाथ को अर्पित इस मन्दिर का नाम " महोदयप्रासाद" और " इन्द्रविहार" दोनों ही रखे गये थे । इस समय बैराठ इन्द्रराज नामक सामंत द्वारा शासित था । सोलंकी राजाओं द्वारा शासित टोडारायसिंह में १५३६ ई० में सोलंकी राजा सूर्यसेन के शासनकाल में उनियारा के निकट आव में संघवी कालू ने प्रतिमाओं का प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया था 14 जब टोडारायसिंह के ऊपर रावरामचन्द्र का शासन था, तब “यशोधर चरित्र" की पृथक्-पृथक् दो प्रतियाँ क्रमश: १५५३ ई० और १५५५ ई० में लिखो गई । ७ इस काल में चातसू जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था । यहाँ पर ग्रंथों की कई प्रतियाँ तैयार हुई । १५२५ ई० में "सम्यक्त्व कौमुदी १५२५ ई० में " राजवार्तिक ९, १५२६ ई० में "चन्द्रप्रभ चरित्र १०, १५३७ ई० में “शतपाहुड' ११ और १५५६ ई० में " उपासकाध्ययन १२ लिखी गई थी। इन ग्रंथों की प्रशस्तियाँ ऐतिहासिक महत्त्व की हैं । "चंद्रप्रभ चरित्र" की प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि चातसू राजा संग्राम सिंह के अधिकार में था और उनके सामन्त टोडारायसिंह के राव रामचन्द्र, यहाँ राज्य कर रहे थे । " शतपाहुड" १. प्रस, पृ० ७३ । २. जैइरा, पृ० ४५ । ३. प्रलेस, क्र० १०७० । ४. प्रोरिआसवेस, १९०९-१०, पृ० ४४-४५ । ५. पृ० १०९-१० । वीरवाणी - ४, ६. प्रस, पृ० १६८ । ७. वही, पृ० १६३ । ८. वही, पृ० ६३ ॥ ९. वही, पृ० ५४ । १०. वही, पृ० ९९ । ११. वही, पृ० १७५ । १२. वही, पृ० ९४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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