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________________ जैन शास्त्र भंडार : ४९ (ग ) जैन मंदिर पुरानी डीग का शास्त्र भण्डार : इस भंडार में १०१ हस्तलिखित ग्रन्थ हैं। कुछ ग्रन्थ बहुत दुर्लभ है। रामचन्द्रसूरि द्वारा १४२३ ई० में संस्कृत में रचित 'विक्रम चरित्र' यहाँ के अलावा अन्यत्र सामान्यतः उपलब्ध नहीं होता। कवि चुन्नीलाल की हिन्दी कृति 'चौबीस तीर्थकर पूजा' सर्वप्रथम यहीं उपलब्ध हुई। इसके अलावा नथमल कृत 'जिनगुण विलास', मुकुन्ददास कृत 'भ्रमरगीत' भी उल्लेखनीय पाण्डुलिपियाँ हैं ।। ८. कामा के शास्त्र भण्डार : यह नगर १७वीं एवं १८वीं शताब्दियों में साहित्यिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। यहां के २ मन्दिरों के शास्त्र भण्डार महत्त्वपूर्ण हैं(क) दिगम्बर जैन खण्डेलवाल मन्दिर का शास्त्र भण्डार : यहाँ गुटकों सहित ५७८ पाण्डुलिपियों का संग्रह है। यह भण्डार महत्त्वपूर्ण एवं अज्ञात पाण्डुलिपियों की दृष्टि से प्रमुख भण्डारों में से है। यहाँ १३४८ ई० से लेकर २०वीं शताब्दी तक की पाण्डुलिपियाँ हैं । यहाँ के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इस प्रकार हैं-संस्कृत में १३९७ ई० में प्रतिलिपिकृत देवप्रभसूरि रचित 'पाण्डव चरित्र', प्रभाचन्द्र के संस्कृत ग्रन्थ 'आत्मानुशासन' पर १४३४ ई० में लिखी गई टोका, १३४८ ई० में राजशेखर के संस्कृत ग्रन्थ 'प्रबोध चिन्तामणि' की प्रतिलिपि, 'समयसार' पर शुभचन्द्र द्वारा १५१६ ई० में संस्कृत में की गई व्याख्या, हरिचन्द की १४६७ ई० को अपभ्रंश रचना 'दशलक्षण कथा', ब्रह्म जिनदास द्वारा अपभ्रश में रचित 'धर्म पंचविंशति' २६ गाथाओं के वर्णन की दुर्लभ कृति, पद्मकीर्ति का १५१७ ई० में लिखित 'पालपुराण', दयाहंसगणी द्वारा राजस्थानी में १४०३ ई० में अनूदित 'संग्रहणी सूत्र भाषा', सोमदेव कोति कृत 'यशस्तिलक' चौपाई की १४०३ ई० में की गई प्रतिलिपि आदि । इस भण्डार के गुटका संख्या ३३१ में १५वीं व १६वीं शताब्दियों के कई लेखकों की हिन्दी रचनाएँ हैं। (ख) अग्रवाल पंचायती मन्दिर का शास्त्र भण्डार : इस भण्डार में ११५ हस्तलिखित ग्रन्थ हैं। इसमें १२५४ ई० का सुधारु कवि रचित 'प्रद्युम्न चरित्र' अपूर्ण है। यहाँ १६३४ ई० में रचित नवलराम की 'वर्धमान पुराण भाषा' की पाण्डुलिपि है, जो प्रथम बार यहीं पर उपलब्ध हुई है। ९. बयाना के शास्त्र भण्डार : यहाँ २ जैन मन्दिरों में शास्त्र भण्डार अवस्थित हैं। पंचायती मन्दिर के शास्त्र भण्डार में पाण्डुलिपियों की संख्या १५० है। इनमें हीरालाल लुहाड़िया कृत 'व्रत विधान पूजा', जिनेन्द्र भूषण कृत 'चंद्रप्रभ पुराण', कुमुदचंद्र कृत 'बाहुबलि छंद', २९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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