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________________ ४५० : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म हेमचंद्रकृत 'नेमिनाथ छंद', गुणचंद्र कृत 'नेमिराजुल गीत', छोहलकृत 'उदरगीत' के नाम उल्लेखनीय हैं । दिगम्बर जैन छोटा मंदिर बयाना के शास्त्र भंडार में भी गुटकों सहित ग्रन्थों की संख्या १५३ है । उल्लेखनीय ग्रन्थ-सुमति सागर कृत 'षोडश कारणो द्यापन पुजा', लालचंद्र कृत 'लीलावती भाषा', केशवदास कृत 'अक्षर बावनी', १६७९ ई० में लल्लू लाल कृत 'समोसरण पाठ' आदि है । १०. वैर के शास्त्र भंडार : दिगम्बर जैन मंदिर में स्थित शास्त्र भंडार में १२० हस्तलिखित ग्रन्थ हैं । गुटकों की संख्या इससे भी अधिक है । कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ-'साधुवंदना', दौलतराम कासलीवाल की 'आध्यात्म बारहखड़ी' आदि हैं। इसके अतिरिक्त टोडरमल, भगवतीदास, रामचंद्र, खुशहालचंद्र आदि को कृतियाँ भी हैं। पंचायती मंदिर वैर के ग्रन्थ भंडार में २२७ ग्रन्थ हैं जिनमें ४४ गुटके हैं। तेजपाल द्वारा अपभ्रंश भाषा में रचित 'वारांग चरित्र' भी एक उल्लेखनीय ग्रंथ है । ११. करौली के शास्त्र भंडार : करौली में २ जैन ग्रन्थ भंडार हैं । पंचायती मंदिर के ग्रन्थ भंडार में २२७ ग्रन्थ एवं ४४ गुटके हैं । अधिकांश ग्रन्थ स्वाध्याय निमित्त पुराण, कथा, सिद्धांतादि के हैं । अपभ्रंश भाषा में तेजपालकृत 'वारांग चरित्र' एक दुर्लभ कृति है । सोगानी जैन मंदिर के शास्त्र भंडार में ८७ ग्रन्थों का छोटा सा संग्रह है जो सामान्य है । १२. हिण्डौन के ग्रन्थ भंडार : यहाँ के २ मंदिरों में २ शास्त्र भंडार हैं, जिनमें हस्तलिखित ग्रन्थों को कुल संख्या ४२६ है । इस भंडार के संग्रह की अवस्था ठीक नहीं है। १३. श्री महावीर जी का ग्रन्थ भंडार : यहाँ के शास्त्र भंडार में गुटकों सहित ५१५ हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहीत है । सभी पांडुलिपियाँ १५वीं से १९वीं शताब्दी के मध्य की हैं। इन ग्रन्थों की सूची प्रकाशित हो चुकी है । यहाँ के कतिपय प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इस प्रकार हैं-योग देवकृत 'तत्वार्थसूत्रवृत्ति', पल्हकृत 'नेमीश्वर गोत', धर्मसागरकृत 'त्रयोदशमार्गी रासो', ब्रह्म वस्तुपालकृत 'पार्श्वनाथ रासो' और 'इन्द्रप्रस्थ प्रबंध' हैं । १४. ब्यावर के शास्त्र भंडार : __यहाँ का 'ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन' नामक सुप्रसिद्ध शास्त्र भंडार इसी नाम के व्यक्ति द्वारा १९३५ ई० में स्थापित किया गया था। इसमें विभिन्न भाषाओं के लगभग ४००० ग्रन्थ हैं। जयसेन सूरि की कृति 'प्रवचनसार तात्पर्य वृत्ति' की १४३९ ई० में तैयार प्रतिलिपि इस भंडार का प्राचीनतम ग्रन्थ है। इस भंडा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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