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४४६ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म
- "पाण्डव पुराण' (१५५६ ई०) आदि हैं । यहाँ महेश कवि कृत 'हम्मीर रासो' की एक प्रति भी विद्यमान है । इस भण्डार में ६६ गुटके हैं जिनमें हिन्दी एवं संस्कृत पाठों का अच्छा संग्रह है ।
(न) लश्कर के दिगम्बर जैन मन्दिर का शास्त्र भण्डार :
यह भण्डार बोरडी के रास्ते में स्थित जैन मन्दिर में है । केसरी सिंह का इस ग्रन्थ भण्डार को महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । इसमें ८२५ हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहीत हैं । उल्लेखनीय कृतियाँ - रत्नप्रभाचार्य के 'प्रमाणनय' की टीका ( १४९९ ई०) एवं 'सप्त पदार्थं वृत्ति' (१४८४ ई०), अमृतचन्द्र को 'पंचास्तिकाय टीका सह' (१५६६ ई०), कुमारकवि कृत 'आत्मप्रबोध' (१५१५ ई० ) विद्यानन्दिकृत 'आप्त परीक्षा' ( १५७८ ई०), प्रभाचन्द्र कृत 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' पर टीका (१५७६ ई०) आदि हैं। भट्टारक ज्ञान भूषण के 'आदीश्वर फाग' की (१५३० ई०) एक सुन्दर प्रति यहाँ के संग्रह में है ।
(प) लाल भवन स्थित विनय चन्द्र ज्ञान भण्डार :
यह भण्डार चौड़ा रास्ता लाल भवन में अवस्थित है तथा श्वेताम्बर शास्त्र भण्डारों में उल्लेखनीय है । आचार्य हस्तोमल की प्रेरणा से इस संग्रह में संवृद्धि हुई है । यहाँ लगभग ७००० ग्रन्थ मुद्रित व अमुद्रित हैं । इस भण्डार के सूचीकरण का - कार्य जारी है ।
· (फ) अन्य भण्डार : कुन्दीगर भैरों के रास्ते में शिवजीराम भवन में स्वर्गीय मुनि कान्ति सागर की हस्तलिखित प्रतियों का संग्रह । इसका अभी तक सूचीकरण नहीं हुआ है । खरतर - " गच्छ के श्रीमालों के उपासरे में तथा तपागच्छ उपाश्रय में भी ग्रन्थों का संग्रह है । जयपुर के महाराजा की लाइब्रेरी पोथी खाना में भी १८,००० हस्तलिखित प्रत्तियों का संग्रह है । जयपुर के 'राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान' की शाखा में जयपुर के घरणेंद्र सूरि ने अपना संग्रह दे दिया है जिसमें लगभग २००० प्रतियां हैं । आमेर का भट्टारकीय भण्डार श्री महावीर जी तीर्थ कमेटी के शोध संस्थान में चला गया है । कुछ संग्रह यति श्यामलाल जी के अधिकार में है ।
२. (क) दिगम्बर जैन तेरापंथी मन्दिर का शास्त्र भण्डार, बसवा :
इस भण्डार में ग्रन्थों का संग्रह १०० से अधिक नहीं है किन्तु इस लघु संग्रह में कई पांडुलिपियाँ उल्लेखनीय हैं । इनमें पासकवि कृत 'पार्श्वनाथ स्तुति', देवीदास कृत 'राजनीति सवैया', दौलतरामकृत 'अध्यात्म बारहखड़ी' उल्लेखनीय हैं ।
(ख) दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर का शास्त्र भण्डार, बसवा :
यह एक प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण भण्डार है । इसमें 'कल्पसूत्र' की २ स्वर्णाक्षरी
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