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________________ जैन शास्त्र भंडार : ४४५. मन्दिर) में विद्यमान है । इसमें १०८ ग्रन्थ संग्रहीत हैं, जिसमें ७५ हिन्दी के वशेष संस्कृत के हैं । अधिकांश ग्रन्थ दैनिक स्वाध्यायोपयोगी हैं । मुख्य ग्रन्थ जयचन्द्र छाबड़ा कृत 'ज्ञानार्णव भाषा', खुशहाल चन्द्रकृत 'त्रिलोकसार भाषा' आदि हैं । (ण) काला छाबड़ा जैन मंदिर का शास्त्र मंदिर : इस भण्डार में ४१० हस्तलिखित ग्रन्थ हैं जो धर्म, पुराण, कथा, पूजा, स्तोत्रादि से सम्बद्ध हैं । यहाँ १०६ गुटके भी हैं जिनमें जैन व अजैन लेखकों की कृतियाँ संकलित हैं 1 (त) मेघराज जी मंदिर का शास्त्र भण्डार : यह एक छोटा संग्रहालय है, जिसमें २४९ हस्तलिखित ग्रंथ संग्रहीत हैं । इनमें से अधिकांश पूजा, पुराण, स्तोत्र आदि से सम्बन्धित हैं । (थ) यशोदानंद जैन मंदिर का शास्त्र भण्डार : यति यशोदानन्द ने १७९१ ई० में इस मन्दिर का निर्माण करवाया था । यहाँ ३५३ ग्रन्थ एवं १३ गुटके हैं । संग्रह सामान्य है । उल्लेखीय ग्रन्थ ' चन्द्रप्रभ काव्य पंजिका' (१९०७ ई०), कुन्दकुन्द कृत 'समयसार ' (१५५७ ई०), आशाधर कृत 'सागरधर्मामृत' (१५७१ ई०), केवल मिश्र कृत 'तर्कभाषा' (१६१२ ई०) आदि हैं । इसी प्रकार दिल्ली के बादशाहों की पट्टावलियाँ और भट्टारक धर्मकीर्ति की प्रशंसा में रचित गीत भी उल्लेखनीय हैं । (द) विजयराम पांड्या दिगम्बर जैन मंदिर का शास्त्र भण्डार : यह भण्डार पानों का दरीबा चौधरी रामचन्द्र जी में स्थित मन्दिर में विद्यमान है । यहाँ के ग्रन्थ जीर्ण-शीर्ण हैं व भण्डार की अवस्था अच्छी नहीं है । यहाँ २७५ ग्रन्थ एवं ७९ गुटके हैं । इनमें संग्रहीत कृतियों में विश्वभूषण की 'नेमिश्वर की लहरी', पुण्यस्तन की 'नेमिनाथ पूजा', श्यामकवि की 'तीन चौबीसी चौपाई', स्योजी राम की 'लग्नचन्द्रिका' आदि महत्त्वपूर्ण हैं । कई कवियों के पद भी संग्रहीत हैं । लोहट कृतः 'षट्लेश्यावृत्ति' उल्लेखनीय कृति 1 (ध) दिगम्बर जैन मन्दिर संधी जी का शास्त्र भण्डार : यह भण्डार चौकड़ी मोदीखाना में महावीर पार्क के पास स्थित मन्दिर में है । जयसिंह के दीवान झूथाराम संघी ने इसका निर्माण करवाया था । यहाँ ९७९ हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है । अधिकांश १८वीं व १९वीं शताब्दी के रचित हैं । प्राचीनतम कृति कुन्दकुन्द कृत 'पंचास्तिकाय' की १४३० ई० में प्रतिलिपिकृत उपलब्ध है । अन्य प्राचीन प्रतियाँ हर्षकीर्ति की 'अनेकार्थ शतक' (१६४० ई० ), धर्मकीर्ति की 'कौमुदी कथा' (१६०६ ई०), पद्मनन्दि की 'श्रावकाचार' (१५५६ ई०), शुभचन्द्रकृत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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