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जैन शास्त्र भंडार : ४३३ बीकानेर संभाग : १. बीकानेर के जैन शास्त्र भंडार :
यहाँ के शास्त्र भंडार बहुत समृद्ध हैं । यहाँ विविध भाषा के अनेक दुर्लभ ग्रन्थ प्राप्य हैं। बीकानेर में लगभग १ लाख जैन ग्रन्थ संग्रहीत हैं। इनमें से लगभग ६० हजार अभय जैन ग्रन्थालय में, १५,००० अनूप संस्कृत लाइब्रेरी में व शेष अन्य भंडारों में हैं । इन भंडारों में स्वर्ण एवं रजत स्याही से लिखित ग्रन्थ भी उपलब्ध हैं । इसके अतिरिक्त असंख्य कलात्मक चीजें, प्राचीन चित्र तथा सचित्र विज्ञप्ति पत्र भी यहाँ सुरक्षित रखे हुए हैं । इस शहर में निम्न ग्रन्थ भंडार हैं(क) वृहद् ज्ञान भंडार :
यह रांगड़ी का चौक के बड़े उपासरे में स्थित है। यह भंडार १९०१ ई० में यतिहिमतू जी के विशेष प्रयासों से अस्तित्व में आया। इसमें ९ यतियों का संग्रह समेकित रूप में है और कुल १०,००० हस्तलिखित प्रतियाँ सुरक्षित हैं। इस खरतरगच्छीय बृहद् ज्ञान भंडार में निम्न ९ यतियों के संग्रह हैं(अ) महिमा भक्ति भंडार :
यह क्षमाकल्याण के शिष्य खरतरगच्छीय महिमा भक्ति का संग्रह है जिसमें लगभग ३००० ग्रन्थ ८९ बंडलों में सुरक्षित हैं । अधिकांश कागज ग्रन्थ हैं। प्राचीनतम ताड़पत्रीय पांडुलिपि १२५२ ई० को 'श्रावक प्रतिक्रमण' है। (आ) दानसागर भंडार :
यहाँ पर २७९२ ग्रंथ ७४ बंडलों में सुरक्षित है। यहाँ कई दुर्लभ ग्रंथ भी है। यहाँ की विशिष्ट कृतियाँ 'तपागच्छ पट्टावली', 'वीसलदेव चौहान रास', हमीर रचित "पिंगल शास्त्र' आदि है। (इ) अभय सिंह भंडार :
यह सम्पूर्ण संग्रह बीकानेर के श्रावक अभयसिंह द्वारा भेंट किया हुआ है। इसमें २३ बंडलों में ४२७ ग्रन्थ हैं। सभी कागज पर हैं। मुख्य १४०३ ई० को जिनदत्तसरि की संस्कृत रचना 'विवेक विलास' को प्रतिलिपि, १५६० ई० का कुशल लाभ रचित 'ढोला मारू', १४७४ ई० में ज्ञानसागर रचित 'श्रीपालरास', १५४१ ई० में लिखित एवं १६२१ ई० में प्रतिलिपिकृत ज्ञानचन्द्र रचित 'सिंहासन बत्तीसी' आदि हैं। (ई) वर्धमान भण्डार :
यहाँ पर १००० ग्रंथ ४७ बंडलों में सुरक्षित हैं। हिन्दी एवं संस्कृत ग्रन्थों की दृष्टि से यह भंडार मूल्यवान है । १. बीजै लेस, पृ० ६०-७३ ।
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