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४३२ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म ८. धनारी का श्रीपूज्य ज्ञान भण्डार :
सिरोही जिले का यह ग्रन्थ भंडार जिनेन्द्र सूरि के शिष्य पद्मसूरि को निशा में संचालित है। यह भंडार बहुत समृद्ध एवं अछूता है। इसकी ग्रन्थ सूची उपलब्ध नहीं है किन्तु यहां दुर्लभ सामग्री प्राप्त हो सकती है। ९. तिलोकविजय ज्ञान भण्डार, मोहब्बत नगर :
पूर्व में यह ज्ञान भंडार अपनी तंत्र-मंत्र की पुस्तकों के लिये प्रसिद्ध रहा है । 'जैन मंत्र कल्प महोदधि' यहाँ को संग्रहीत पांडुलिपियों के आधार पर लिखा गया था। वैसे इस भंडार को सामग्री सीलदर, जीरावल एवं घाणेराव पहुँच गई है, परन्तु अब भी काफी दुर्लभ सामग्री इसमें है। १०. जयविजय ज्ञान मन्दिर, सिरोही :
इस भंडार की सामग्री का संग्रह जयविजय महाराज ने किया था। इसमें बहुत से प्राचीन ग्रन्थ हैं। ११. केवलविजय ज्ञान भण्डार, कालन्द्री : ___ इसकी स्थापना साधु केवल विजय ने की थी। इसमें लगभग २००० दुर्लभ ग्रन्थ संग्रहीत थे । इस भंडार की अधिकांश सामग्रो आदोनी, गोकाक एवं दावनगेरे स्थानांतरित हो गई है । अभी भी कुछ दुर्लभ ग्रंथ यहाँ हैं । १२. श्रीमती पंकुबाई ज्ञान मन्दिर, शिवगंज :
यह एक जैन मन्दिर के समीप अवस्थित है। ग्रन्थों का रखरखाव अच्छा है एवं ग्रन्थों की प्राचीन पांडुलिपियाँ भी है। १३. सोहनलाल पटनी निजी संग्रह, सिरोही :
इसमें १३०० हस्तलिखित ग्रन्थ हैं जो १४वीं से १९वीं शताब्दी के मध्य के हैं। इनमें चित्रित ग्रन्थों की संख्या अल्प है। वस्त्र एवं कागज पर आलेखित यंत्र भी.
यहाँ हैं ।
१. असावै, पृ० २३२-३४ । २. वही। ३. वही। ४. वही। ५. वही। ६. वही।
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