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जैन शास्त्र भंडार : ४२७.
में सुरक्षित रखने के प्रयास किये जाते थे। इन्हें दीमक, चूहों व ठंडक से बचाने के विविध उपाय किये जाते थे । साँप की केंचुली, धोंडाध्वज एवं औषधि की पोटली आदि रखी जाती थी तथा वर्षा की नम हवा से बचाने के लिये ज्ञान भण्डार यथा सम्भव कम ही खोले जाते थे। ग्रन्थों की प्रशस्तियों में लिखने में जल, तेल, शिथिल बंधन और अयोग्य व्यक्ति के हाथ से बचाने की चेतावनी सतत् दी जाती रही है। ज्ञान की रक्षा एवं सेवा के लिये ही जैन धर्म में ज्ञानपंचमी पर्व का प्रचलन हुआ और इसके माध्यम से ज्ञानोपकरणों का प्रचुरता से निर्माण करवाकर ज्ञान भण्डारों की अभिवृद्धि की गई। ज्ञानपंचमी पूर्वाराधन के बहाने ज्ञान की पूरी सार सँभाल होने लगी।
राजस्थान के प्रसिद्ध शास्त्र भण्डार (अ) जोधपुर संभाग के जैन शास्त्र भण्डार : (१) जैसलमेर के जैन ग्रन्थ भण्डार
भौगोलिक विशेषताओं, शुष्क प्रकृति एवं आवागमन के सुलभ साधनों के अभाव के कारण जैसलमेर प्रदेश सामान्यतः बाह्य आक्रमणकारियों से बचा रहा। शांति एवं सुरक्षा का क्षेत्र होने के कारण जैन श्रेष्ठियों ने यहाँ अपना निवास चुना, साथ हो जैन साधुओं की भी धर्मस्थली बन गया । जैसलमेर केवल प्रस्तर कला की दृष्टि से ही नहीं, अपितु यहाँ के सुविख्यात ज्ञान भण्डारों में संग्रहीत प्राचीन ताडपत्रीय और हस्तलिखित ग्रन्थों के संग्रह की दृष्टि से भी विश्वविख्यात है। राजस्थान के जैन भण्डारों में अकेले जैसलमेर के संग्रहालय ही ऐसे हैं जिनकी तुलना भारत के किसी भी प्राचीन बड़े ग्रन्थ संग्रहालय से की जा सकती है। सर्वप्रथम इस अमूल्य धरोहर का संकेत कर्नल टॉड ने अपने ग्रन्थ में दिया। इसके बाद १८७४ ई० में जर्मन विद्वान डॉ० बुहलर और हर्मन जेकोबी प्राचीन ग्रन्थों को तलाश में भारत आये और जैसलमेर भी गये । ये ही इन ग्रंथ भण्डारों को विद्वानों के समक्ष प्रकाश में लाये । संभवतः जलवायु की प्रतिकूलता के कारण वे यहां अधिक नहीं ठहर सके, फिर भी उनके प्रारम्भिक कार्य का बहुत महत्त्व है। जैसलमेर भण्डार को पूर्ण रूप से प्रकाश में लाने का श्रेय प्रो० श्रीधर रामकृष्ण भण्डारकर को है, जो बम्बई सरकार की ओर से १९०५ ई० में राजस्थान के प्राचीन हस्तलिखित पुस्तक संग्रहों का निरीक्षण करने आये थे। इन्होंने यहां के दस ग्रन्थ संग्रहालयों की ग्रन्थ सूची बनाई जिसमें प्राचीनतम ग्रन्थ ८६७ ई० का था। इसके पश्चात् बड़ौदा सरकार की ओर से चिमन लाल दलाल ने मुख्य भण्डार के प्रायः सभी ताड़पत्रीय ग्रन्थों की सूची बनाई जो 'गायकवाड़ ओरिएण्टल सिरीज' में प्रकाशित हो चुकी है ।२ लाल चन्द्र म० गांधी, मनि जिन विजय, मुनि पुण्य विजय, मुनि हंस विजय, १. देखें-जैसलमेर भण्डार की ग्रन्थ सूची । २. जैन ग्रन्थावली, १९०९ ई० में प्रकाशित ।
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