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४०२ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म
५९. अजयराज पाटगी - इनका कार्यक्षेत्र जयपुर रहा । इनकी २० रचनाएँ उपलब्ध होती हैं- "आदिपुराण भाषा " १७४० ई०, "नेमिनाथचरित्र भाषा !" १६७८ ई०, "कक्का बत्तीसी", "चरखा च उपई", "चारमित्रों की कथा", "चौबीस तीर्थकर पूजा", "चौबीस तीर्थंकर स्तुति", "जिनगीत", "जिनजी की रसोई", " णमोकार सिद्धि", " नन्दीश्वर पूजा", "पंचमेरु पूजा'", "पार्श्वनाथ जी का सालेहा", " बाल्य वर्णन", "बीस तीर्थंकरों की जयमाल", "यशोधर चौपई", "वन्दना", " शान्तिनाथ जयमाल ", " शिवरमणी विवाह", "विनती" आदि ।'
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६०. धनपत विजय -- इन्होंने " खुमान रासो” की रचना की, जो उदयपुर के महाराणाओं के इतिहास का वर्णन करता है ।
६१. खुशालचन्द्र काला --- इनको रचनाएँ -- "हरिवंशपुराण" १७२३ ई० "यशोधरचरित्र", “qgagera”, " व्रतकथा कोष" १७३० ई०, "जम्बूस्वामीचरित”, “उत्तरपुराण", १७४२ ई०, “ सद्भाषितावली", "धन्यकुमार चरित", "वर्द्धमान पुराण" "शान्तिनाथ पुराण" "चौबीस महाराज पूजा", " ज्येष्ठ जिनकथा " १७२५ ई० है । २
इनकी रचनाएँ
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६२ : किशनसिंह - इनका साधना स्थल सांगानेर रहा। " णमोकार रास" १७०३ ई०, “चौबीस दण्डक" १७०७ ई०, "पुण्यात्रव कथाकोष" १७१६ ई०, "भद्रबाहु चरित्र" १७२६ ई०, " त्रेपन क्रियाकोष" १७२७ ई०, "लब्धिविधान कथा " १७२५ ई०, "निर्वाणकांड भाषा" १७२६ ई०, " चतुविशति स्तुति", " चेतन गीत", "चेतन लोरी", " पद संग्रह" आदि हैं । 3
६३. देवाब्रह्म-ये १८वीं शताब्दी के कवि थे । बड़ा तेरापंथी मंदिर, जयपुर में " पदसंग्रह " ९४६ में इनके लगभग ७२ पद संग्रहीत हैं । ४
६४. दौलतराम कासलीवाल - ये सवाई माधोसिंह के मंत्री भी थे। इनकी राजस्थानी गद्य-पद्य में लिखी हुई १८ कृतियाँ प्राप्त हुई हैं । मुख्य पद्य रचनाएँ-" जीवंधर चरित्र" १७४८ ई०, " त्रेपन क्रियाकोष" १७३८ ई०, "आध्यात्म बारहखड़ी", "विवेकविलास', 'श्रेणिक चरित' १७२५ ई०, " श्रीपाल चरित" १७६५ ई०, "चौबीस दण्डक भाषा", "सिंह पूजाष्टक", "सार चौबीसी" आदि हैं ।"
१. राजेसा, पृ० २२० ।
२ . वही ।
३. वही पृ० २२१ ।
४.
वही 1
कासलीवाल, कस्तूरचन्द - महाकवि दौलतराम का व्यक्तित्व एवं कृतित्व । -
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