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जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ४०१ ५१. पानसिंह-ये सांगानेर निवासी थे। इन्होंने १७६४ ई० में "रत्नकरंड श्रावकाचार तथा १७६७ ई० में "सुबुद्धिप्रकाश" की रचना सांगानेर में की।
५२. होरा-ये बून्दी के निवासी थे। १७९१ ई० में इन्होंने 'नेमिनाथब्याहलो" नामक गीतात्मक रचना लिखी ।
५३. टेकचन्द्र-ये जयपुर निवासी थे, किन्तु बाद में माहिपुरा में रहने लगे। अब तक इनकी २१ रचनाएँ--''पुण्यास्रवकथाकोष" १७६५ ई०, “पंचपरमेष्ठीपूजा", "कर्मदहनपूजा", "तोनलोकपूजा" १७७१ ई०, "सुदृष्टितरंगिणी" १७८१ ई०, "व्यसनराजवर्णन" १७७० ई०, "पंचकल्याणपूजा", "पंचमेरुपूजा", "अध्यात्मबारहखड़ी" एवं "दशाध्ययनसूत्रटीका" आदि हैं।
५४. सेवाराम पाटनी-इन्होंने १७६७ ई० में दौसा में "शान्तिनाथचरित" की रचना की। १७९३ ई० में डोग में रहते हुए "मल्लिनाथचरित" को रचना की।
५५. सेवाराम जाट-इन्होंने "हनुमानचरित्र", "शान्तिनाथपुराण" व "भविष्यदत्तचरित्र" की रचना की।
५६. ब्रह्मचन्द्रसागर-सोजत इनका साहित्यिक केन्द्र था। इन्होंने १७६६ ई० में सोजत में "श्रीपालचरित" की रचना की। इन्होंने "पंचपरमेष्ठोस्तुति" भी रची ।
५७. बख्तराम साह-इन्होंने १७७० ई० में जयपुर में "बुद्धिविलास" नामक रचना को, जिसमें तत्कालीन समाज, राज व्यवस्था व जयपुर नगर निर्माण का भी वर्णन है।
५८. कवि नेमीचन्द-इन्होंने १७१४ ई० में "प्रीतंकरचौपई" चरित्र ग्रंथ की रचना की। इनको अन्य रचनाएँ "नेमीश्वररास" १७१२ ई०, 'चेतन लूहरि", "जीव लूहरि", "जीवसमोधन लूहरि", "विसालकीति को देहुरो", "जाखडी", "कडावो", "आसिक को गीत", "नेमीसुर को गीत", "पदसंग्रह" आदि हैं।
१. राजैसा, पृ० २१३ । २. वही। ३. वही। ४. वही। ५. हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ० २०६ । ६. राजैसा, पृ० २१४ । ७. हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ० २१९ । ८. राजैसा, पृ० २१८ ।
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