________________
जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ३९९ के अतिरिक्त “राजमती सज्झाय", साधुगण की सज्झाय", "दशारणभद्र को चौढालियो ", " धन्नाजी ढाल", "नेमनाथ जी का सिलोका", "विजयसेठ विजय सेठानी की सज्झाय", "सीताजी को आलोयणा" आदि भी लिखीं ।'
४१. रायचंद : - ( १७३९ ई० - १८०४ ई० ) इनकी २०० से अधिक रचनाएँ उपलब्ध हैं । मुख्य रचनाएँ निम्न हैं- " आठकर्मों की चौपई", "जंबू स्वामी की सज्झाय', 'नंदन मणिहार की चौपई", "मल्लिनाथ जो की चौपई, "महावीर जी को चौढालियो”, “कमलावती की ढाल", " एकन्ता ऋषि की ढाल", "गौतम स्वामी को रास", " आषाढ़भूति मुनि को पंचढालियो ", " सती नर्मदा को चौपई", "कर कंडु की चौपई", "देवकी राणकी ढाल", मेतारज मुनि चरित्र", "रायनमि का पंचढालिया", "राजा श्रेणिक रो चौढालियो ", "लालिभद्र को षढालियो ", " महासती की ढाल", "श्रेयांसकुमार की ढाल", "कलावती की चौपई"; चंदन बाला की ढाल” आदि । इसके अलावा इन्होंने कई पच्चीसी संज्ञक रचनाएँ भी लिखीं, जैसे- 'वय पच्चीसी", " जोबन पच्चीसी", चित्तसमाधि पच्चीसी", "ज्ञान पच्चीसी, "चेतन पच्चीसी", "दीक्षा पच्चीसी", "क्रोध पच्चीसी", "माया पच्चीसी", "लोभ पच्चीसी" "निंदक पच्चीसी" आदि ।
"2.
४२. चौथमल - इनकी मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं- " जयवंती की ढाल", "जिनरिखजिनपाल", "सेठ सुदर्शन", "नन्दनमणियार", "सनतकुमार चौढ़ालिया", "महाभारत ढाल सागर", "रामायण", " श्रीपाल चरित्र", "दमघोष चौपई", "जम्बू चरित्र”, “ऋषिदेव ढाल", "तामली तापस चरित्र " आदि । ३
४३. दुर्गादास - इनकी स्फुट रूप से पद, सज्झाय, ढालें आदि प्राप्त हैं । प्रमुख रचनाएँ हैं- " नोकरबारी स्तवन", " पार्श्वनाथ स्तवन", "जम्बूजी की सज्झाय", " महावीर के तेरह अभिग्रह की सज्झाय", " गौतमरास", " ऋषभचरित", " उपदेशात्मक ढाल”, सवैये आदि ।
४४. आसकरण - इनकी छोटी-बड़ी अनेक रचनाएँ हैं । मुख्य हैं- " दस श्रावकों की ढाल", पुण्यवाणी ऊपर ढाल", "केशी गौतम चर्चा ढाल", "साधुगुणमाला", " भरतजी री रिद्धि", "नमिरायजी सप्तढालिया" आदि । 5
१. राजेसा, पृ० १८३ ।
२. मरुधर केसरी मिश्रीमलजी अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ० ४२० - ४२९ ।
३. राजैसा, पृ० १८४ ।
४. देवेन्द्र मुनि के सम्पादन में प्रकाशित ।
५. राजैसा, पू० १८५ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org