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जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ३९७
२८. खड्ग :- ये बागड़ देश में नारनोल के निवासी थे । इन्होंने १६५६ ई० में शाहजहाँ के शासनकाल में ''त्रिलोक दर्पण कथा" की रचना की ।"' २९- मुनि शुभचन्द्र : ये हाड़ौती प्रदेश के कुजड़पुर में रहते थे । इन्होंने १६९८ ई० में "होली कथा" निबद्ध की ।
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३०. जोधराज गोवीका :- ये सांगानेर निवासी थे । इनकी कृतियाँ इस प्रकार है -- " सम्यक्त्व कौमुदी भाषा" १६६७ ई०, "प्रवचनसार भाषा", "कथाकोष भाषा" १६६५ ई० : प्रीतंकर चरित्र भाषा", " ज्ञानसमुद्र" १६६५ ई०, "धर्म सरोवर " १६६७ ई० । ३
३१. हेमराज : ये ढूंढाड़ी कवि थे । इन्होंने १६६८ ई० में " दोहाशतक" की रचना की । ४
३२. ब्रह्मनाथ : - इनका साधना स्थल टोंक रचनायें इस प्रकार हैं- " नेमीश्वर राजमती को लूहरि”, “जिनगी”, “डोरी का गीत ", " दाई "मारू", "धनाश्री के गीत" आदि 15
३३. सेवक : - ये लोहट के गुरु थे। इनकी २ रचनाएँ "नेमिनाथ जी का दसभव वर्णन" । तथा चौबीस जिन स्तुति हैं । इनके ५० से भी अधिक पद प्राप्त हैं ।"
३४. लोहट :-- इनका कार्यक्षेत्र बून्दी था । १६७९ ई० में इन्होंने " अढाई कोरासो", १७२७ ई० में "चौढालिया", १६७८ ई० में " षट्लेश्या बेलि", १६६८ ई० में " यशोधर चरित", "पार्श्वनाथ जयमाला" आदि रचनाएँ लिखीं ।"
३५. कनककीति :- - ये १७ वीं शताब्दी के मुनि थे। इनकी निम्न रचनाएँ
१. राजैसा, पृ० २११ ।
२. वही, पृ० २१२ 1
३. जैसासह, पृ० ११४-११५ ।
जिले में नगर ग्राम था। इनकी ब्याहलो " १६७१ ई०, "नेमजी की गीत ", " राग मलार", "सोरठ",
४. राजैसा, पृ० २१७ ।
५. वही ।
६. चौधरी मन्दिर टोंक का गुटका नं० १०२ब ।
७. जैन मन्दिर निवाई के गुटके में पृ० १२४-१२६ पर ।
८. जयपुर के छाबड़ों के मं० व तेरापंथी मं० में गुटका नं० ४७ व पद संग्रह ९४६ में
संग्रहीत।
९. राजेसा, पृ० २१९ ।
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