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________________ ३९४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म १६५७ ई०, “जिनप्रतिमा हुंडी रास" १६६८ ई०, “कुसुमश्रीरास" १६५२ ई०, "मगापुत्र चौपई" १६५७ ई०, “मातृका बावनी" १६७३ ई०, "ज्ञातासूत्रसज्झाय" १६७९ ई०, “समकित सप्तमी" १६७९ ई०, “शुकराज रास" १६७९ ई०, “श्रीपाल रास" १६८३ ई०, "रत्नसिंह रास" १६८४ ई०, "श्रीपाल रास संक्षिप्त" १६८५ ई०, "अवन्ति सुकुमाल रास" १६८४ ई०, "उत्तमकुमार रास" १६८८ ई०, “कुमारपाल रास" १६८५ ई०, “अमर दत्त मित्रानंद रास" १६९२ ई०, "चंदन मलयागिरि चौपई" १६८७ ई०, “हरीशचंद्र रास" १६८७ ई०, "हरिबलमच्छीरास" १६८८ ई०, "सुदर्शन सेठ रास' १६९२ ई०' "अजितसेन कनकावती रास" १६९४ ई०, “गुणावली रास" १६९४ ई०, “महाबल मलयासुन्दरि रास' १६९४ ई०, "शत्रुजय महात्म्य रास"१६९८, ई० "सत्यविजय निर्वाण रास" १६९९ ई०, "रत्नचूड़ रास" १७०० ई०, "अभय कुमार रास" १७०१ ई०, “रात्रि भोजन रास" १७०१ ई०, “रत्नसार रास" १७०२ ई०, “वयरस्वामी रास" १७०२ ई०, “जंबूस्वामी रास" १७०३ ई०, "स्थूलिभद्र सज्झाय" १७०३ ई०, “नर्मदासुन्दरि सज्झाय" १७०३ ई०, “आराम सोभारास" १७०४ ई०, “वसुदेवरास" १७०५ ई०, “जसराज बावनी" १६८१ ई०, "मेघकुमार चौडालिया", “यशोधर रास" १६९० ई०, “श्रीमतीरास” १७०४ ई०, "कनकावती रास", "उपमितिभव प्रपंच रास" १६८८ ई०, "ऋषिदत्त रास" १६९२ ई०, "शीलवती रास" १७०१ ई०, “रत्नशेखर रत्नावती रास" १७०२ ई०, "विशि" १६८८ ई०, "दशवकालिक गीत" १६८० ई०, "दोहा संग्रह", "चाबोली कथा", "गजसिंह चरित्र चौपई" १६५१ ई० तथा विविध स्तवन, सज्झाय आदि । ८. जिनसमुद्र सूरि-इनका कार्यक्षेत्र जैसलमेर के आसपास था । इनकी १६४० ई० की "नेमिनाथ फाग'' सर्वप्रथम कृति है एवं अंतिम रचना "सर्वार्थसिद्धि मणि माला" १६८३ ई० में पूर्ण हुई थी। इसके अतिरिक्त २५ रचनाएँ और हैं, जिनमें 'वसुदेव चौपई", "ऋषिदत्ता चौपई", "रुक्मिणी चरित्र", "गुणसुन्दर चौपई", "प्रवचन रचनावेलि", "मनोरथ माला बावनी" आदि उल्लेखनीय हैं।२।। ९. महोपाध्याय लब्धोदय--इनका रचनाकाल १६४९ ई० से १६९३ ई० तक रहा । इनकी प्रथम रचना १६४९ ई० को "पद्मिनी चरित्र चौपई" है, जो उदयपुर में रची गई । पश्चात्वर्ती सभी रचनाएँ उदयपुर, गोगुन्दा एवं धुलेव में रचित हैं । अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएँ "रत्नचूड मणिचूड़ चौपई", "मलयसुन्दरी चौपई", "गुणावली चौपई", "पद्मावतो आख्यान" आदि हैं । १. नाहटा, राजैसा, पृ० १७७ । २. वही। ३. श्री विरास्मा, पृ० ७०६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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