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________________ ३७८ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म ६०. कवि पुण्य नन्दि-इन्होंने ३२ पद्यों में "रूपकमाला" रची, जिस पर संस्कृत में टीकाएँ लिखा जाना विशेष उल्लेखनीय है। १५२५ ई० में रत्नरंग उपाध्याय ने इस पर बालावबोध टोका लिखी और १६०८ ई० में समय सुन्दर ने इस पर संस्कृत में चूणि लिखी।' ६१. वाचक धर्म समुद्र-ये वाचक विवेकसिंह के शिष्य थे। इन्होंने १५१० ई० में जालौर में ३३७ पद्यों में "सुमित्र कुमार रास' लिखा । १५२७ ई० में "कुलध्वज कुमार रास" की रचना को। कवि ने मेवाड़ में १५१६ ई० में एक कल्पित कथा "गुणाकर चौपाई" रची । इसके अतिरिक्त इन्होंने "शकुन्तला रास", "सुदर्शन रास', "सुकमाल सज्झाय' आदि रचनाएँ भी लिखीं। ६२. सहज सुन्दर---ये उपकेश गच्छीय रत्नसूरि के शिष्य थे । १५१३ ई० से १५३९ ई० तक की इनकी १० रचनाएँ प्राप्तहैं । इनको मुख्य रचनाएँ-"इलाती पुत्र सज्झाय", 'गुणरत्नाकार छन्द" १५१५ ई०, "ऋषिदत्तारास", "आत्माराम रास", "परदेशी राजा रास", "रत्नसार कुमार चौपाई", शुकसहेली कथा रास", "जम्बु अतरंग रास", "यौवन जरासंवाद", "आँख कान संवाद", "गरभवेलि" आदि मुख्य है । ६३. भक्ति लाभ--ये खरतरगच्छ के उपाध्याय जयसागर के प्रशिष्य थे। इनकी रचनाएँ-"सीमन्धर स्तवन", "वरकाणा स्तवन", "जीरावली स्तवन", "रोहिणी स्तवन" आदि हैं। इनका रचनाकाल १५१४ ई० के आसपास था। ६४. चारुचंद्र--ये भक्तिलाभ के शिष्य थे । १५१५ ई० में इनके द्वारा बीकानेर में लिखित "उत्तमकुमार चरित्र" की स्वचरित पांडुलिपि बीकानेर के नाहटा संग्रहालय में है।" ६५. पार्श्वचंद्र सूरि ( १४८० ई०-१५५५ ई०)--ये पावचंद्रगच्छ के संस्थापक थे । गद्य व पद्य में इनकी शताधिक रचनाएँ मिलती हैं। अधिकांश रचनाएं सैद्धान्तिक हैं । प्रमुख रचनाएँ-"साधुवंदना", "पाक्षिक छत्तीसी", "चारित्र मनोरथ माला", "श्रावक मनोरथ माला", "वस्तुपाल तेजपाल रास", "आत्म शिक्षा", "आगम छत्तीसी", "गुरु छत्तीसी", "विवेक शतक", "आदीश्वर स्तवन", "कंधक चरित्र सज्झारा", "वीतराग स्तवन" आदि हैं । १. राजैसा, पृ० १७३। २. वही पृ० १७३ ।। ३. वही। ४. जैसरा, पृ० २४१ । ५. वही। ६. राजैसा, पृ० १७३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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