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________________ ३७६ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्मं (ङ) पूजा साहित्य - "गुरु जयमाल", "जम्बूद्वीप पूजा", "गुरु पूजा", "सरस्वती पूजा", शास्त्र पूजा", "निर्दोष सप्तमी व्रत पूजा" । ४७. आचार्य सोमकीर्ति - ये काष्ठासंघ के नन्दीतट शाखा के सन्त व अप्रतिम विद्वान् थे । राजस्थानी में इनकी अब तक ६ रचनाएँ उपलब्ध हैं- "गुर्वावली " १४६९ ई०, मल्लिनाथ गीत", "यशोधर रास" १४७९ ई०, "आदिनाथ विनती", 'ऋषभनाथ स्तुति", " त्रेपन क्रियागीत " आदि । " ४८. भट्टारक ज्ञान भूषण - ये भुवनकीर्ति के शिष्य थे । अभी तक इनकी राजस्थानी भाषा की ५ रचनाएँ प्राप्त हुई हैं- " आदीश्वर फाग ", " षट्कर्मरास”, "जलगालण रास", "नागद्रा रास", " पोसह रास" । ३ ४९. ब्रह्म बूचराज ( १४७३ ई०-१५४३ ई० ) - रूपक काव्यों की रचना की दृष्टि से इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है । "मयणजुज्झ" इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना थी, जिसकी शास्त्र भण्डारों में अनेक प्रतियाँ उपलब्ध होती हैं । इनकी अन्य मुख्य रचनाएँ -- " सन्तोषतिलक जयमाल", "चेतन पुद्गल घमाल", " नेमीश्वर का बारह मासा", "नेमिनाथ वसन्तु ", " टंडाणा गीत", "विजयकीति गीत" व पद । ५०. ब्रह्म यशोधर ( १४६३ ई० - १५३३ ई० ) :- ये काष्ठा संघ के विजयसेन के शिष्य थे । इनकी निम्न रचनाएँ प्राप्त हैं- "नेमिनाथगीत" १५२४ ई०, "बलिभद्र चोपाई", मल्लिनाथ गीत" आदि । ५ ५१ भट्टारक शुभचन्द्र – ये १५१६ ई० में भट्टारक हुये और अपनी विद्वत्ता के कारण " षट्भाषा चक्रवर्ती" कहलाते थे । इनके द्वारा रचित ७ राजस्थानी रचनाएँ इस प्रकार हैं-- " महावीर छन्द", "नेमिनाथ छंद", "विजयकीर्ति छन्द", "दान छन्द", "गुरु छन्द", "तत्वसार दूहा ", गीत आदि । ५२. ब्रह्म जयसागर ( १५२३ ई०-१६०८ ई० ) -- ये भट्टारक रत्नकीर्ति के शिष्य थे। इनकी निम्न रचनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं- "नेमिनाथगीत ", " चुनडी गीत", " क्षेत्रपाल गीत ", " जसोधर गीत", "संघपति मल्लिदास जी गीत", "शीतल नाथ नी बीनती ", " पंचकल्याणक गीत" । ७ १. जैसरा, पृ० २०४ । २. कासलीवाल, राजैसा, पृ० २०६ । ३. वही । ४. वही । ५. वही, पृ० २०७ । ६. वही । ७. वही, पृ० २०८ | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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