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जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ३७५
४३. पद्नाभ - इनका चित्तौड़ से सम्बन्ध रहा । संघपति डूंगर के अनुरोध पर
इन्होंने १४८६ ई० में डूंगर बावनी” की रचना की ।
४४. विनय चूला – ये आगमगच्छीय हेमरत्न सूरि की शिष्या थीं । इन्होंने १४५६ ई० में " श्री हेमरत्न सूरि गुरु फागु' की रचना की । २
४५. भट्टारक सकल कीर्ति ( १३८६ ई०-१४४२ ई० ) – ये राजस्थानी भाषा के भी उद्भट विद्वान् थे । इनकी ७ मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं- " आराधना प्रतिबोध सार", "सोलहकारण राम ", " नेमीश्वर गीत", "मुक्तावलि गीत", " णमोकारफल गीत ", " सारसीखा मणि रास", "शांतिनाथ फागु " 13
४६. ब्रह्मजिनदास – ये भट्टारक सकलकीर्ति के योग्यतम शिष्य और भाई थे । इन्होंने सर्वाधिक रास संज्ञक काव्य लिखे । " रामरास" १४५१ ई० में तथा "हरिवंश पुराण" १४६३ ई० में निबद्ध किया । शेष रचनाओं में समयोल्लेख नहीं मिलता । इनका साहित्य सृजन इस प्रकार रहा
(क) पुराण साहित्य - " आदिनाथ पुराण", "हरिवंश पुराण"
(ख) रासक साहित्य — " रामसीता रास", "नागकुमार रास", "होली रास", "श्रेणिक रास", "अम्बिका रास", "जम्बू स्वामी रास", "सुकोशल स्वामी रास", " दसलक्षण रास", "धन्यकुमार रास", " धनपाल रास", "नेमीश्वर रास", "अठावीस मूल गुण रास", " यशोधर रास", "परमहंस रास", "धर्म परीक्षा रास", " सम्यक् मिथ्यात्व रास", " नागश्री रास", "भद्रबाहु रास", "रोहिणी रास", "अनन्तव्रत रास", " चारुदत्त प्रबंध रास", "भविष्य दत्त रास", "करकण्डु रास ", " हनुमत रास", " अजितनाथ रास", "ज्येष्ठ जिनवर रास", "सुदर्शन रास", "श्रीपाल रास", "कर्म विपाक रास", "सोलह कारण रास", "बंकचूल रास", "पुष्पांजलि रास", " जीवंबर रास", "सुभीम चक्रवर्ती रास" ।
"आलोचना जयमाल "
(ग) गीत एवं स्तवन - "मिथ्या दुकड़ विनती", " जिणंदगीत ", "आदिनाथ स्तवन", "जीवडा गीता'", "बारहव्रत गीत ", " स्फुट विनती" गीत आदि ।
(घ) कथा साहित्य- -" रविव्रत", "चौरासी जाति जयमाल", "अष्टांग सम्यक्त्व", " व्रतकथा कोष", "भट्टारक विद्याधर कथा", "पंचपरमेष्ठि गुणवर्णन” ।
१. राजैसा,
पृ० १७२ ।
२. जैसरा, पृ० २४७ ॥
३. वही, पृ० २०३ । ४. राजेशाग्रसू, पु० ४०४ ।
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